:: 1600 से अधिक विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीक, शोध और मरीजों की बेहतर देखभाल पर की गहन चर्चा :: :: डॉ. बोरबा ने कहा- न्यूरोसर्जरी में समर्पण अनिवार्य; डॉ. पाणिग्राही ने भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा को बताया महत्वपूर्ण :: इंदौर (ईएमएस)। इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में जारी न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के 73वें एनुअल कॉन्फ्रेंस एनएसआईकॉन 2025 के तीसरे दिन, न्यूरोसाइंस के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक, शोध और मरीजों की बेहतर देखभाल पर केंद्रित चर्चाओं ने ज्ञान और नवाचार का विशाल संसार समेटा। देश और विदेश से आए 1600 से अधिक विशेषज्ञ और शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क रोगों के सुरक्षित और प्रभावी उपचार पर गहन विचार-विमर्श किया। :: मस्तिष्क रोगों पर 200 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत :: कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. वसंत डाकवाले ने बताया कि तीसरे दिन ब्रेन ट्यूमर, मिर्गी, मूवमेंट डिसऑर्डर, न्यूरोवैस्कुलर रोग, और सिर एवं रीढ़ की चोट/आघात जैसे विषयों पर 200 से अधिक शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। उन्होंने कहा, यह संकेत है कि भारत न्यूरोसाइंस में एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। हमारा लक्ष्य केवल बीमारियों का इलाज करना नहीं, बल्कि लोगों को सुरक्षित, सरल और मानवीय स्वास्थ्य सेवाएँ देना है। शोधपत्रों में ग्लायोमा में जेनेटिक बदलावों की पहचान, पार्किंसन रोगियों में डीप ब्रेन स्टिम्यूलेशन (DBS) के बाद सुधार और मोया-मोया रोग के नए उपचार दृष्टिकोणों पर प्रकाश डाला गया। :: न्यूरोसर्जरी में समर्पण और परिश्रम अनिवार्य :: डॉ. लुईस बोरबा ने अपने डॉ. राम गिंदे ओरेशन में न्यूरोसर्जरी के प्रशिक्षण की चुनौतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि यह अत्यंत सूक्ष्मता और सावधानी से किए जाने वाला उपचार है, जिसके लिए गहन ज्ञान और निरंतर मेहनत की आवश्यकता होती है। उन्होंने युवा न्यूरोसर्जनों को कठिन परिश्रम से न घबराने की सलाह दी, क्योंकि एक छोटी सी चूक मरीज के प्राणों के लिए जोखिम या आजीवन विकलांगता का कारण बन सकती है। :: भारतीय न्यूरोसर्जरी विश्व शक्ति के रूप में :: प्रोफेसर डॉ. मानस पाणिग्राही ने अपने प्रेसिडेंशियल ओरेशन में भारतीय न्यूरोसर्जरी की प्रगति पर गहन बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व में तेजी से उभरती न्यूरोसर्जरी शक्तियों में से एक है और नवाचार, रिसर्च और शिक्षा के केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने बताया कि भारतीय मरीजों पर आधारित अध्ययन यह स्पष्ट करते हैं कि सही समय पर निदान और नई तकनीकों का उपयोग अधिक प्रभावी साबित हो रहा है। डॉ. पाणिग्रही ने प्राचीन गुरु–शिष्य परंपरा की महत्ता का भी उल्लेख किया, जो मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता में स्वाभाविक रूप से वृद्धि करती है। :: महिला सशक्तिकरण और प्रशिक्षण गुणवत्ता :: ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. जे. एस. कठपाल ने बताया कि तीसरे दिन NSI WIN सेक्शन का आयोजन हुआ, जो पूरी तरह महिलाओं के स्वास्थ्य और न्यूरोसाइंस में उनकी बढ़ती भूमिका पर केंद्रित था। इस सत्र में लगभग दो सौ से अधिक महिला न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरोसर्जन ने भाग लिया, जो इस क्षेत्र में हो रहे बड़े बदलाव को दर्शाता है। डॉ. कठपाल ने यह भी जानकारी दी कि न्यूरोसर्जरी और न्यूरोलॉजिस्ट की ट्रेनिंग की गुणवत्ता को बनाए रखने पर गहन विचार-विमर्श हुआ, ताकि डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के प्रयासों के बीच प्रशिक्षण के मानकों पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रेन एन्यूरिज्म में सर्जरी और क्लिपिंग आज भी प्रभावी है, और मरीजों को सभी उपलब्ध उपचार विधियों की सही जानकारी दी जानी चाहिए। युवा डॉक्टरों के लिए आयोजित विशेष पोस्टर सत्रों में रोबोटिक सर्जरी, दुर्लभ बाल चिकित्सा रोगों और नई तकनीकों पर आधारित शोध साझा किए गए। प्रकाश/12 दिसम्बर 2025