अंतर्राष्ट्रीय
14-Dec-2025
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करांची,(ईएमएस)। पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक कारणों से अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, वहीं खैबर पख्तूनख्वा में लगातार हो रहे हमलों से भी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। इस प्रकार बहुआयामी संकटों से गुजर रहा पाकिस्तान राजनीतिक अस्थिरता, सुरक्षा तंत्र की कमजोर पकड़ और पड़ोसी देशों के साथ बिगड़ते रिश्ते, सभी मिलकर हालात को और पेचीदा बनाए हुए हैं। ऐसे हालात में राजनीतिक स्तर पर जहां प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपनी कमजोर होती पकड़ को बचाए रखने के लिए हरसंभव कोशिशें कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर संवैधानिक रूप से अत्याधिक शक्तिशाली बनाए जा चुके आसिम मुनीर ने अपनी आक्रामक नीति को अमल में लाना शुरू कर दिया है। चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज का पद संभालते ही उन्होंने न सिर्फ सेना में नए आदेश लागू कर दिए, बल्कि पड़ोसी अफगानिस्तान को भी सीधे तौर पर कठोर संदेश देते हुए कार्रवाई का भय बनाने की नाकाम कोशिश की है। दरअसल मुनीर ने हाल ही में तालिबान सरकार को चेतावनी दी थी, कि वह पाकिस्तान या तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) में से एक को चुन ले। यह अलग बात है कि उनका यह बयान क्षेत्रीय तनाव को हवा देने वाला साबित हुआ। अफगानिस्तान की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई, लेकिन टीटीपी ने इसका जवाब खूनखराबे से दिया और पिछले दिनों खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा हमला कर अपने मंसूबों से अवगत भी करा दिया। कुर्रम ज़िले के मनाटो इलाके में हुए हमले में पाकिस्तान के 6 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, जबकि 7 लोग घायल हुए थे। आधिकारिक जानकारी में बताया गया, हमले के बाद सुरक्षाबलों और टीटीपी के लड़ाकों के बीच भारी गोलीबारी हुई। हमले की यह घटना उस पिछले हमले के तुरंत बाद हुई है, जिसमें टीटीपी ने नॉर्थ वज़ीरिस्तान में असिस्टेंट कमिश्नर शाह वली के वाहन को निशाना बनाकर 5 लोगों की हत्या कर दी थी। टीटीपी लंबे समय से पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों पर हमले करता रहा है। सरकार और सेना इसके खिलाफ कई सैन्य अभियानों की घोषणा कर चुकी है, लेकिन संगठन पर काबू पाने में अब तक विफल रही है। टीटीपी को पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया है, जबकि पाकिस्तानी नेतृत्व लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि संगठन के लड़ाकों को अफगानिस्तान से पनाह और समर्थन मिलता है। दूसरी ओर, अफगान तालिबान इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे पाकिस्तान का आंतरिक मामला बताते हैं। इस आरोप-प्रत्यारोप ने दोनों देशों के रिश्तों में वर्षों से तनाव बनाए रखा है। ऐसे माहौल में आसिम मुनीर का हालिया बयान स्थिति को और संवेदनशील बना सकता है। हिदायत/ईएमएस 14 दिसंबर 2025