ढाका,(ईएमएस)। ढाका में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के सामने चुनौतियां लगातार गहराती जा रही हैं। एक ओर देश के भीतर चुनाव आयोग के दफ्तर को आग के हवाले किए जाने जैसी घटनाएं कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर विदेश से आई दो गंभीर खबरों ने सरकार और सुरक्षा तंत्र की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अफ्रीका के सूडान में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन पर हुए आतंकी हमले में बांग्लादेशी सैनिकों की मौत और साउथ अफ्रीका में अवैध रूप से पहुंचे बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी ने एक साथ कई मोर्चों पर चिंता पैदा कर दी है। सूडान के अशांत अबेई क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के एक कैंप पर ड्रोन के जरिए किया गया हमला बेहद घातक साबित हुआ। इस हमले में बांग्लादेश के छह सैनिकों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। बांग्लादेशी सेना के अनुसार, हमले की तीव्रता इतनी अधिक थी कि इलाके में हालात अब भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए हैं और आतंकियों के साथ झड़पें जारी हैं। घायल जवानों को सुरक्षित बाहर निकालने और उन्हें इलाज उपलब्ध कराने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन क्षेत्र में मजबूत प्रशासन, पुलिस व्यवस्था और प्रभावी न्यायिक ढांचे के अभाव में हालात और जटिल बने हुए हैं। स्थानीय प्रशासन का आरोप है कि इस हमले को विद्रोही गुटों ने हथियारबंद युवाओं के साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, यह पिछले तीन वर्षों में अबेई क्षेत्र में हुआ सबसे घातक हमला माना जा रहा है, जिसमें अब तक 50 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। बांग्लादेश लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में अहम भूमिका निभाता रहा है और इस समय भी अफ्रीका के विभिन्न संघर्षग्रस्त इलाकों में उसके छह हजार से ज्यादा सैनिक और सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। ऐसे में सैनिकों की मौत ने न सिर्फ देश को झकझोर दिया है, बल्कि सरकार के सामने विदेश नीति और सैनिक सुरक्षा से जुड़े सवाल भी खड़े कर दिए हैं। मोहम्मद यूनुस ने इस हमले पर गहरा दुख जताया है। इसी बीच साउथ अफ्रीका से आई दूसरी खबर ने सरकार की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। जोहान्सबर्ग के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 16 बांग्लादेशी नागरिकों को फर्जी वीजा और संदिग्ध दस्तावेजों के साथ हिरासत में लिया गया। ये सभी एक अंतरराष्ट्रीय उड़ान से वहां पहुंचे थे और जांच के दौरान यह सामने आया कि वे मानव तस्करी से जुड़े एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं। अधिकारियों के अनुसार, ये लोग स्थानीय यात्रियों के बीच घुलने-मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन संदेह होने पर उन्हें अलग कर पूछताछ की गई। जांच में यह भी सामने आया कि इनके पास मौजूद दस्तावेज पूरी तरह फर्जी थे और यात्रा का उद्देश्य स्पष्ट नहीं था। अब सभी 16 बांग्लादेशी नागरिकों को साउथ अफ्रीका से डिपोर्ट करने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही जिस एयरलाइन ने इन्हें यात्रा की अनुमति दी, उस पर जुर्माना लगाने और डिपोर्टेशन का खर्च वसूलने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। साउथ अफ्रीका पहले भी अवैध घुसपैठ और फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश को लेकर चिंता जताता रहा है। इन घटनाओं ने एक साथ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सामने आंतरिक सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय छवि और प्रवासी मुद्दों से जुड़ी चुनौतियों को और गहरा कर दिया है। वीरेंद्र/ईएमएस/14दिसंबर2025 -----------------------------------