राष्ट्रीय
14-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। कई योग विशेषज्ञ योग के कुक्कुटासन को मानसिक और शारीरिक संतुलन का बेहतरीन माध्यम मानते हैं। संस्कृत में ‘कुक्कुट’ का अर्थ मुर्गा और ‘आसन’ का अर्थ स्थिति या मुद्रा होता है। योग की दुनिया में कई ऐसे आसन मौजूद हैं, जो शरीर को बाहरी मजबूती देने के साथ-साथ आंतरिक ऊर्जा को भी जगाने का कार्य करते हैं। इस आसन को करते समय व्यक्ति का शरीर मुर्गे जैसी मुद्रा में दिखाई देता है, इसलिए इसे कुक्कुटासन कहा जाता है। यह आसन देखने में जितना प्रभावशाली प्रतीत होता है, उतना ही अभ्यास के शुरुआती दिनों में चुनौतीपूर्ण भी माना जाता है, लेकिन नियमित अभ्यास से इसके लाभ स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं। आयुष मंत्रालय ने कुक्कुटासन को एक शक्तिशाली और प्रभावी योग मुद्रा बताया है, जो मन और शरीर दोनों को संतुलित करने में सक्षम है। इस आसन में पूरा शरीर हाथों और बाजुओं के बल पर टिकता है, इसलिए यह हाथों, कंधों, छाती और पेट के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत करने में विशेष रूप से उपयोगी है। इसके नियमित अभ्यास से पेट की अतिरिक्त चर्बी कम होती है और पाचन तंत्र को मजबूती मिलती है, जिससे गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और शरीर में रक्त संचार को बेहतर करता है। मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से यह आसन एकाग्रता बढ़ाने, तनाव कम करने और मन को शांत रखने में भी सहायक माना जाता है। कुक्कुटासन करने की विधि काफी ध्यान और संतुलन की मांग करती है। इसे करने के लिए योगा मैट पर पद्मासन में बैठें, फिर दाएं हाथ को धीरे से दाईं जांघ और पिंडली के बीच से निकालें और वही प्रक्रिया बाईं ओर दोहराएं। हथेलियों को मजबूती से जमीन पर टिकाकर गहरी सांस लेते हुए पूरे शरीर को ऊपर उठाएं। इस दौरान गर्दन सीधी और नजर सामने होनी चाहिए। लगभग 15 से 20 सेकंड तक इस मुद्रा में रुककर धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक अवस्था में लौटें। सुदामा/ईएमएस 14 दिसंबर 2025