बिलासपुर (ईएमएस)। जिले के स्कूलों में इन दिनों अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन पढ़ाई की रफ्तार प्रशासनिक व्यस्तताओं के कारण पटरी से उतर गई है। पिछले डेढ़ माह से प्रायमरी और मिडिल स्कूलों के 850 से अधिक शिक्षक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मतदाता सूची के कार्य में लगाए गए हैं। इसके चलते कक्षाओं का नियमित संचालन प्रभावित हुआ और कई विषयों का कोर्स अधूरा रह गया है। स्थिति केवल प्रायमरी और मिडिल स्कूलों तक सीमित नहीं है। हाल ही में हाईस्कूलों के कई व्याख्याताओं का प्राचार्य पद पर प्रमोशन हुआ है, जिससे शिक्षकों की कमी और बढ़ गई है। इसका असर हाईस्कूल की कक्षाओं पर भी पड़ा है। फरवरी से बोर्ड परीक्षाएं शुरू होनी हैं, ऐसे में अधूरे पाठ्यक्रम को लेकर विद्यार्थियों और अभिभावकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। सिलेबस पूरा कराना शिक्षकों के लिए चुनौती छात्र व अभिभावकों का कहना है कि जब पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई है, तो परीक्षा में बेहतर अंक कहां से आएंगे। अधूरे कोर्स के बीच परीक्षा होने से बच्चों के परिणाम खराब आने की आशंका है। कई स्कूलों में शिक्षक सीमित संख्या में होने के कारण अतिरिक्त कक्षाएं भी नियमित रूप से नहीं लग पा रही हैं। अर्धवार्षिक परीक्षा के बाद शीतकालीन अवकाश रहेगा। अवकाश के बाद बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी का समय बचेगा, लेकिन कम समय में पूरा सिलेबस पूरा कराना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती होगी। जिला शिक्षा अधिकारी विजय टांडे ने कहा कि अर्धवार्षिक परीक्षा समाप्त होने के बाद अधूरे कोर्स को पूरा कराने के लिए विशेष योजना बनाई जाएगी। जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त और विशेष कक्षाएं भी संचालित की जाएंगी, ताकि बोर्ड परीक्षाओं से पहले विद्यार्थियों की तैयारी मजबूत की जा सके। मनोज राज/योगेश विश्वकर्मा