-100 से ज्यादा फर्जी कंपनियां बनाईं, करीब 1 हजार करोड़ की साइबर धोखाधड़ी की नई दिल्ली (ईएमएस) । केंद्रीय जांच ब्यूरो ने अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध में शामिल चार चीनी नागरिकों और 58 कंपनियों सहित 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। अधिकारियों ने रविवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इन आरोपियों ने सौ से अधिक फर्जी कंपनियां बनाईं और एक हजार करोड़ से अधिक की साइबर धोखाधड़ी की। ये सभी साइबर धोखाधड़ी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े थे, जो शेल कंपनियों के जरिए धोखाधड़ी करते थे। यह नेटवर्क पोंजी योजनाओं और मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) मॉडल के साथ-साथ फर्जी ऐप और नौकरी के प्रस्तावों के माध्यम से लोगों को धोखा दे रहा था। सीबीआई ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से मिली जानकारी के आधार पर मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद बीते अक्टूबर महीने में साइबर धोखाधड़ी वाले नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ था। जांच टीमों ने इस संगठित नेटवर्क का पता लगाया था, जो अलग-अलग तरह के सायबर फ्रॉड करता था। ये साइबर ठग फर्जी लोन, फर्जी निवेश योजनाएं का लालच देकर लोगों को अपनी जाल में फंसाते थे। जांच के दौरान पाया गया कि साइबर जालसाजों ने एक अत्यधिक जटिल, तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें असली नियंत्रकों की पहचान छिपाने और कानून प्रवर्तन की जांच से बचने के लिए गूगल विज्ञापनों, बल्क एसएमएस अभियानों, सिम-बॉक्स मैसेजिंग सिस्टम, क्लाउड सर्वर, फिनटेक प्लेटफॉर्म और दर्जनों फर्जी बैंक खातों का लाभ उठाया गया। 111 शेल कंपनियों का पर्दाफाश जांच के दौरान अधिकारियों ने पाया कि इस ऑपरेशन के केंद्र में 111 फर्जी शेल कंपनियां थीं। इन शेल कंपनियों को फर्जी निदेशकों, फर्जी डॉक्यूमेंट्स और फर्जी पते का इस्तेमाल करके बनाया गया था। जांच में यह भी पता चला कि इन कंपनियो में सैकड़ों बैंक खातों के जरिए 1,000 करोड़ रुपए से अधिक की रकम ट्रांसफर की गई थी। इस खुलासे के बाद सीबीआई ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, झारखंड और हरियाणा में कई जगह छापेमारी की थी। जांच के दौरान इन शेल कंपनियों में विदेशी नागरिकों के संलिप्त होने की भी जानकारी सामने आई थी। इनकी पहचान जू यी, हुआन लियू, वेइजियान लियू और गुआनहुआ वांग के रूप में हुई है। इन विदेशी नागरिकों ने ही साल 2020 से भारत में फर्जी कंपनियां खड़ी की थीं। इसके बाद भारतीय सहयोगियों की मदद से लोगों के दस्तावेज हासिल किए, जिनका इस्तेमाल शेल कंपनियों के नेटवर्क को बनाने और धोखाधड़ी से मिली रकम को दूसरे खातों में ट्रांसफर किया गया। विनोद उपाध्याय/14 दिसंबर2025