नई दिल्ली,(ईएमएस)। लोकसभा में अपने खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा ने आरोपों पर जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। कैश कांड की जांच के लिए गठित संसदीय समिति ने उन्हें 6 सप्ताह का और समय देने का फैसला किया है। हालांकि समिति ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इसके बाद किसी भी तरह का समय विस्तार नहीं दिया जाएगा। माना जा रहा है कि जनवरी 2026 के अंतिम सप्ताह में इस मामले में आगे की कार्यवाही शुरू हो सकती है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 12 अगस्त को इस जांच समिति का गठन किया था। जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के समर्थन में लाए गए प्रस्ताव पर 146 सांसदों के हस्ताक्षर थे। इसके समानांतर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से भी एक अलग समिति गठित की गई थी। दोनों ही समितियों ने जस्टिस वर्मा के उस दावे को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें बदनाम करने के इरादे से नकदी रखी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरविंद कुमार की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति इस पूरे मामले की जांच कर रही है। समिति ने जस्टिस वर्मा से उन पर लगे आरोपों को लेकर लिखित जवाब मांगा था। 5 दिसंबर को हुई कार्यवाही के दौरान जस्टिस वर्मा ने समिति से 8 सप्ताह का अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया था, लेकिन समिति ने विचार-विमर्श के बाद उन्हें केवल 6 सप्ताह का अंतिम अवसर देने का निर्णय लिया। जांच समिति ने आरोपों के समर्थन में सबूतों के साथ मेमो ऑफ चार्जेस भी दाखिल किया है। इसमें दिल्ली पुलिस और अग्निशमन विभाग द्वारा 14 और 15 मार्च की रात आग बुझाने के दौरान बनाए गए वीडियो, प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयान और अन्य दस्तावेज शामिल हैं। इन सबूतों के आधार पर समिति ने आरोपों को गंभीर माना है। लोकसभा स्पीकर द्वारा गठित समिति की कार्यवाही के दौरान जस्टिस वर्मा को अपना पक्ष रखने, आरोपों पर सफाई देने और अपने पक्ष में गवाह पेश करने का पूरा अवसर दिया जाएगा। हालांकि सदन की समिति पहले ही जस्टिस वर्मा की इस दलील को अस्वीकार कर चुकी है कि कैश उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से रखा गया था। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रत्यक्ष, इलेक्ट्रॉनिक और विशेषज्ञों के सबूत यह साबित करते हैं कि नई दिल्ली स्थित 30 तुगलक क्रीसेंट के स्टोररूम में नकदी मौजूद थी। रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को केंद्रीय फॉरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणित किया गया है। पैनल ने यह भी दर्ज किया कि 15 मार्च की सुबह जले हुए 500 रुपये के नोटों की गड्डियों को ‘भरोसेमंद नौकरों’ की मदद से साफ किया गया था और यह पूरी प्रक्रिया जस्टिस वर्मा के निजी सचिव की मौजूदगी में हुई। लोकसभा द्वारा गठित समिति में सुप्रीम कोर्ट के जज अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और वरिष्ठ अधिवक्ता बीवी आचार्य शामिल हैं। वहीं, 22 मार्च को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा गठित समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अनु शिवरमन को शामिल किया गया था। वीरेंद्र/ईएमएस/15दिसंबर2025