आज सत्ता पक्ष और विपक्षी नेता के बीच गजब का न्यूज़ चल रहा किसी के ऊपर व्यक्तिगत आरोप नहीँ लगाना चाहिए राम लीला मैदान। में जो घटना क्रम हुआ उससे विदेशों में भारत की छवि ख़राब हो रही है एक दूसरे पर वीडियो वाइरल होना ठीक नहीँ है आप सभी संयम से काम ले और भगवान राम पर विश्वास रखें हमें लगता है कि इसमें अब कुछ उद्योग पति भी मिल गए है क्योंकि इतना बड़ा आयोजन हेतु फंड कौन कर रहा है प्रधानमंत्री पर निजी टिपण्णी करना लोकतंत्र के खिलाफ है जब चुनाव होगा तो काम के दम पर ही जीत मिलेगी इसलिए मेहनत स्टेज पर और भाषण से नहीँ यदि विपक्ष में हैँ तो जनता और देश के सम्मान में काम करना होगा जब स्व अटलजी जैसे मेहनत कर देश का नाम ऊँचा करने वाले पर भी उनके व्यक्तिगत आरोप उनके निधन पर देखता हूँ तो कहाँ कहाँ से घटिया न्यूज़ बनाते है समझ में नहीँ आता जिसने 1998 में देश में पोखरण परमाणु परीक्षण और 1999 में कारगिल युद्ध में देश का मस्तिष्क ऊँचा किया था आज हमें देश के विकास के लिए वैज्ञानिकों पर भरोसा करना होगा जो आज बड़ी तेजी से पलायन कर रहे हैँ वैज्ञानिक संसाधनों का विकास ही देश कों टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मंं आगे ले जा सकता है चाहे अंतरिक्ष के क्षेत्र में हो या कृषि या रक्षा के क्षेत्र में या परमाणु के क्षेत्र में सभी में वैज्ञानिकों पर विश्वास करना आवश्यक है हो सकता है तुरंत परिणाम ना निकलें क्योंकि शोध में कई साल लगते हैँ और इसलिए संयम और शांति की आवश्यकता है सत्ता आती है जाती है लेकिन देश में वैज्ञानिक कार्यों में विकास की आवश्यकता है जिससे देश में अपना सामान खुद बना सकते हैँ और युवाओ के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म होगा टेक्नोलॉजी के मामलों में टैलेंटेड होने के बाद भी उसका सही इस्तेमाल नहीँ हो रहा है जिसमे सभी पार्टियों कों साथ में मिलकर काम करना चाहिए अगर टेक्नोलॉजी होगी तभी देश आत्मनिर्भर होगा और भारत में संसाधनों की कमी नहीँ है और जनसंख्या के हिसाब से देश चीन के बाद ऐशिया में दूसरे नम्बर पर है आखिर चीन से हमें क्यों आयात करना होता है जब हम खुद ही उसे बनाने में सक्षम हैँ नई सरकार जब 2014 में बीजेपी की आई तो उस समय सरकारी तंत्र तो विपक्षी दल के पास ही था आखिर क्या कारण था कि देश में जनाधार नहीँ मिला और अब तक सत्ता में नहीँ आ रहे हैँ काम पर फोकस ज्यादा जरुरी है 2014 में जब नई सरकार आई तो विश्व योगदिवस चालू हुआ लेकिन योग का सही अर्थ समझना जरुरी है जिसके लिए भगवान राम के बारे में ध्यान करना जरुरी है जो किसी धर्म और जाति से नहीँ जुड़े हैँ बल्कि मानवता की रक्षा के लिए मर्यादा का पालन करना सिखाते हैं अतः आज सभी मर्यादा की सारी सीमा लांघ गए है जो देशहित में नहीँ है इसपर शांति से काम लेना होगा भगवान राम ने ना तो रावण के व्यक्तिगत जीवन पर क़ोई टिपण्णी की और ना ही उनके सबसे बड़े वैज्ञानिक हनुमान के विश्वास कों तोड़ा और यही उनके जीत की सबसे बड़ा कारण थी रावण प्राकृतिक के नियम कों नहीँ मानता था और मनुष्य कों मनुष्य ना समझ कर जानवर समझता था इसलिए मनुष्य के रुप में भगवान राम और बानर सेना जो जानवर की श्रेणी में आते हैँ ने एक जुट होकर रावण कों हराया और उसका घमंड चूर किया जबकी रावण मनुष्य से अलग शंकर भगवान की कृपा से मायाबी शक्ति हासिल किया फिर भी भगवान राम ने साधारण मनुष्य के रूप में वध कर ही दिया कौन क्या किया और क्या कर रहा है उसकी नजरें सब पर टिकी हैँ और अन्त समय कहाँ बचने वाले हैँ अतः शांति से काम लें धरना प्रदर्शन से देश का माहौल ख़राब होता है सत्ता आती है जो जाएगी भी लेकिन आपका व्यक्तिगत सम्बन्ध ही काम आएगा अतः शांति से काम लेने की जरुरत है समय के साथ कर्म करते चले वोट चोरी कैसे हुई इसपर न्यायलय है वहाँ ही न्याय मिल सकता है देश एक कठिन दौर से गुजर रहा है हंगामा कहीं से भी हो उसका नुकसान ही होगा अतः शांति से काम लें धैर्य रखें जनता पर विश्वास कर उनके कार्य कों करेंगे तो जनाधार मिलेगा वोट चोरी होती तो बीजेपी पश्चिम बंगाल और साउथ में भी जीतती लेकिन ऐसा नहीँ हुआ नमस्कार,मेरे रोम रोम में बसने वाले राम का गाना सुना भगवान राम पर एक गाना हो जो सबको सही संदेश दे उस वक़्त मनोज कुमार ने नीलकमल फ़िल्म में गाना अपनी पसंद का लिखाया था गाना के गीतकार साहिर लुधियानवी ने लिखा आशा भोसले ने गया लता जी संप्रदायक के कारण नहीँ गई और वाहिदा रहमान को इसी गाने फ़िल्म नीलकमल में बेस्ट एक्टिव का ख़िताब भी मिला अब यहाँ धर्म कहाँ आ रहा है धर्म में नफरत राजनीती पक्ष ने ही पैदा की है जिसे मिटाने की आवश्यकता है योग से ध्यान का मतलब होता है जोड़ जो आत्मा को परमात्मा से मिलने को होता है जो ध्यान से होता है और ध्यान के लिए अपने को भगवान श्री राम ही सत्य है वो योग रामदेव बाबा वाला एक भ्रमजाल है क्योंकि शरीर को ध्यान से ठीक करें हर दिन भगवान राम का ध्यान करते रहें और बार बार करने से ध्यान में जो हमारे विकास हैं वो दूर होते हैं ऐ बात सत्य है कि आपका अपना क़ोई इस संसार में नहीं है सभी ध्यान भटकाने के लिए हैं कुछ साल बाद भगवान श्री राम की ताकत का अहसास होगा और चन्दन की खुसबू मिलेगी जो हमेशा आपके रक्षा के लिए खड़ा होगा डर ख़त्म कर देगा या तो इस स्थूल शरीर के लिए या सूक्ष्म शरीर के लिए इसलिए जन्मजन्मातर तक हमेशा प्रकाशित करेगा यही प्रभु राम की ताकत है भगवान राम किसी धर्म से जोड़ कर आपस में वैर करना ठीक नहीँ है राम के गुणों को लीडरशिप, साइकोलॉजी और नैतिक विकास में उनके कार्य के अनुसार जो आज की चुनौतियों है उससे शांति से निपटने के लिए भगवान राम गुणों की हमेशा याद करने की जरूरत है। जैसा कि ओलिवेल (2017) ने रिलिजन इन द रामायण: कॉन्टेक्स्चुअल एप्लीकेशंस एंड सिग्निफिकेंस फॉर टुडे में लिखा है, राम का किरदार सिर्फ़ एक ऐतिहासिक या पौराणिक किरदार नहीं है, बल्कि इंटीग्रेटेड एक्सीलेंस का एक बड़ा उदाहरण है जो इंसानी क्षमता और सोशल इंटरेक्शन को जानकारी देता रहता है। राम के गुणों को समझने के मुख्य सोर्स में वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण, तुलसीदास की रामचरितमानस और कई पौराणिक रेफरेंस शामिल हैं। इनमें से हर किताब राम को अलग-अलग नज़रिए से दिखाती है: ऐतिहासिक, फिलॉसॉफिकल, भक्ति और आध्यात्मिक, जिससे एक अलग-अलग तरह की तस्वीर बनती है जिसे ध्यान से जोड़ना चाहिए। जैसा कि डॉ। रॉबर्ट गोल्डमैन द रामायण ऑफ़ वाल्मीकि: एन एपिक ट्रांसलेशन (1984) में बताते हैं, रामायण के अलग-अलग वर्शन के बीच दिखने वाली कमियां तब गायब हो जाती हैं जब हम उन्हें एक ही बुनियादी सच पर विरोधाभासी नज़रिए के बजाय एक-दूसरे को पूरा करने वाले नज़रिए के तौर पर समझते हैं। पोलक (2021) की हालिया छात्रवृत्ति, वाल्मीकि की रामायण: प्राचीन भारत का एक महाकाव्य, पाठ के ऐतिहासिक संदर्भ को समझने के महत्व पर जोर देती है: रामायण एक ऐतिहासिक कथा (इहसास), एक नैतिक मार्गदर्शिका (धर्मशास्त्र), और एक आध्यात्मिक पाठ (मोक्षशास्त्र) के रूप में एक साथ कार्य करती है, जिसके लिए बहुआयामी व्याख्या दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। विश्लेषणात्मक समझ पर कई दृष्टिकोण राम के गुणों का गहन विश्लेषण करने के लिए, हम कई सैद्धांतिक ढांचे का उपयोग करते हैं: 1. हेर्मेनेयुटिक विश्लेषण: आवश्यक गुणों की पहचान करने के लिए प्राथमिक ग्रंथों में राम के गुणों की की बारीकी से व्याख्या करना 2. तुलनात्मक विश्लेषण: राम के गुणों की वर्तमान सैद्धांतिक रूपरेखाओं से व्यवस्थित रूप से तुलना करना 3. क्रॉस-सांस्कृतिक विश्लेषण: अन्य ज्ञान परंपराओं में समानताओं की जांच करना 4 यह तरीका ब्रायमन (2018) के कहे थ्योरेटिकल ट्रायंगुलेशन से मेल खाता है: एक ही चीज़ को कई थ्योरेटिकल नज़रिए से देखना ताकि उसे पूरी तरह समझा जा सके। 1. पर्सनल सच: राम के विचारों, शब्दों और कामों में एक जैसापन 2. सोशल सच: सभी रिश्तों और लेन-देन में ईमानदारी 3. कॉस्मिक सच: धार्मिक सिद्धांतों और यूनिवर्सल ऑर्डर के साथ तालमेल 4. ट्रांसेंडेंट सच: परम सत्य (ब्रह्म) से जुड़ाव डॉ. एस. राधाकृष्णन ने इंडियन फिलॉसफी वॉल्यूमI (1923) में कहा था: राम का सच बोलना (सत्य व्रत) सिर्फ़ झूठ से दूर रहना नहीं है, बल्कि सच को उसके पूरे मतलब में अपनाना है—जो अस्तित्व के सभी लेवल पर सच से मेल खाता है। कॉग्निटिव कंसिस्टेंसी की साइकोलॉजिकल थ्योरी (फेस्टिंगर, 1957) राम के किरदार में पूरी तरह से दिखाई देती है, जहाँ विश्वास, भावना और काम के बीच कोई तालमेल नहीं है। सियालडिनी (2016) का प्री-सुएशन पर हालिया काम बताता है कि यह कंसिस्टेंसी एक ट्रस्टवर्दीनेस फील्ड बनाती है जो असल में बदल देती है कि दूसरे लोग कम्युनिकेशन कैसे लेते हैं और उस पर कैसे रिस्पॉन्ड करते हैं। फ्रैंकफर्ट (2018) ने कंटेम्पररी ट्रुथ स्टडीज़ में, ऑन ट्रुथ, लाइज़, एंड बुलशिट, असली सच और एक्चुअल सच के बीच फर्क किया है, यह फर्क राम की मल्टीडाइमेंशनल सच्चाई में पूरी तरह से साफ दिखता है। फ्रैंकफर्ट कहते हैं: एक सच्चे सच बोलने वाले को सिर्फ सटीकता से नहीं, बल्कि असलियत की ओर एक बुनियादी झुकाव से अलग किया जाता है, एक ऐसी क्वालिटी जो राम के सभी इंटरैक्शन की खासियत है। धर्म: नेकी का डायनामिक प्रिंसिपल राम के धर्म से रिश्ते को समझने के लिए, हमें सिर्फ नियम मानने से आगे बढ़कर धर्म को एक जीते-जागते, सांस लेने वाले प्रिंसिपल के तौर पर समझना होगा जो अपने ज़रूरी नेचर को बनाए रखते हुए कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से ढल जाता है। धर्म को एक नदी की तरह सोचें जो अलग-अलग इलाकों से बहते हुए भी अपना असली रूप बनाए रखती है। राम दिखाते हैं कि मॉडर्न एथिक्स जीसे सिचुएशनल विज़डम कहते हैं यह खास सिचुएशन में यूनिवर्सल प्रिंसिपल्स को अप्लाई कर उनके काबिलियत पर जानने की जरुरत है। भगवान राम ने जब अलग-अलग काम राजधर्म बनाम पुत्रधर्म सामने आते हैं, तो राम का पक्का इरादा दिखाता है यानी मर्यादा का पालन करना जिसे बाद में फिलॉसफर जॉन रॉल्स ने रिफ्लेक्टिव इक्विलिब्रियम कहा। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने राज योग (1896) में कहा था: राम हमें दिखाते हैं कि धर्म नियमों का सख्ती से पालन करना नहीं है, बल्कि इंसानी कामों के तालमेल का जीता-जागता उदाहरण है इसलिए भगवान पर भरोसा रखें वाद विवाद से बचें व्यक्तित आरोपों से बचना चाहिए। मर्यादा में रह कर ही देश की गरिमा बचेगी और आप कों कौन क्या कहता है इसपर ध्यान देने की जरुरत नहीँ है आरोप का ज़बाब काम से दें ईश्वर हमेशा सही वक़्त पर सही न्याय देता है बस सब्र बनाये रखें विश्वास रखें और जब मन शांत होगा तभी अच्छा विचार आएगा। ईएमएस / 16 दिसम्बर 25