राज्य
18-Dec-2025


* गर्भाशय में गर्भ को टिकाए रखने में मदद करेगी एमआरएनए तकनीक: जीबीयू के छात्रों का एक और क्रांतिकारी आविष्कार गांधीनगर (ईएमएस)| गांधीनगर स्थित गुजरात बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (जीबीयू) के छात्रों ने चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। निःसंतान दंपतियों के लिए आशा की किरण मानी जाने वाली आईवीएफ (आईवीएफ) प्रक्रिया में बार-बार होने वाली असफलताओं को रोकने हेतु छात्रों ने एमआरएनए आधारित एक उन्नत थेरेपी विकसित की है। इस अभिनव शोध के लिए अहमदाबाद स्थित विक्रम साराभाई कम्युनिटी साइंस सेंटर (वीएएसीएससी) द्वारा आयोजित ‘डब्ल्यूएएएच साइंस लॉरिएट अवॉर्ड्स 2025’ में ‘यंग लॉरिएट’ श्रेणी के अंतर्गत प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया। इस विजेता टीम में प्लांट बायोटेक्नोलॉजी के छात्र अरिन जैन (टीम लीडर), मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी की छात्रा संस्कृति तथा मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी की पूर्व छात्रा शुभांगी झा शामिल हैं। क्या है समस्या और कैसे मिलेगा समाधान? आजकल अनेक दंपति गर्भधारण के लिए आईवीएफ जैसी आधुनिक तकनीकों का सहारा लेते हैं, लेकिन आंकड़ों के अनुसार पहले प्रयास में लगभग 40 से 50 प्रतिशत मामलों में सफलता नहीं मिल पाती। इसका प्रमुख कारण ‘रिकरेंट इम्प्लांटेशन फेल्योर’ (आरआईएफ) है, जिसमें भ्रूण गर्भाशय की दीवार से सफलतापूर्वक जुड़ नहीं पाता। इस चुनौती से निपटने के लिए जीबीयू की ‘टीम इम्यूनोस्टेट’ ने एक विशेष एमआरएनए कंस्ट्रक्ट विकसित किया है। यह तकनीक गर्भाशय की आंतरिक परतों (एपिथीलियल और स्ट्रोमल लेयर्स) की स्थिरता को बढ़ाएगी और उन्हें गर्भधारण के लिए अधिक सक्षम बनाएगी। इस क्रांतिकारी थेरेपी के उपयोग से भविष्य में आईवीएफ की सफलता दर में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। ‘साइंस फॉर सोसाइटी’: राष्ट्रीय मंच पर जीबीयू की गूंज वीएएससीएससी द्वारा आयोजित यह प्रतियोगिता ‘साइंस फॉर सोसाइटी’ थीम पर आधारित थी, जिसमें देशभर की कई टीमों ने भाग लिया। जीबीयू की टीम ने यह सिद्ध किया कि विज्ञान का वास्तविक उद्देश्य समाज की व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करना होना चाहिए। इस उपलब्धि के लिए टीम को 50,000 रुपये की छात्रवृत्ति और ‘यंग लॉरिएट अवॉर्ड’ प्रदान किया गया। वहीं, टीम की मार्गदर्शक मेडिकल बायोटेक्नोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. रोहिणी आर. नायर को 15,000 रुपये की फेलोशिप और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। डॉ. रोहिणी नायर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध शोधकर्ता हैं। वे प्रतिष्ठित ‘मैरी-क्यूरी को-इन्वेस्ट फेलोशिप’ और ‘रामलिंगस्वामी री-एंट्री फेलोशिप’ प्राप्त कर चुकी हैं। हाल ही में उन्हें ‘गेट्स फाउंडेशन इंडिया’ से भी एक महत्वपूर्ण शोध अनुदान मिला है। उन्होंने कहा कि “यह पुरस्कार विश्वविद्यालय में विकसित हो रही सशक्त शोध संस्कृति और छात्रों की बायोमेडिकल क्षेत्र में नवीन व प्रभावशाली समाधान प्रस्तुत करने की उत्कृष्ट क्षमता को दर्शाता है।” विकसित भारत @2047 और बीआईओई3 नीति को गति छात्रों की यह उपलब्धि भारत सरकार की नई बीआईओई3 नीति (Biotechnology for Economy, Employment and Environment) के उद्देश्यों के अनुरूप है। यह शोध प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत @2047’ के विजन और राज्य सरकार के तकनीक-आधारित विकास के दृष्टिकोण को साकार करने में सहायक सिद्ध होगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के उप-कुलसचिव एवं अकादमिक विभाग के प्रशासनिक प्रमुख विमल शाह ने कहा कि पूरे गुजरात में जीबीयू एकमात्र ऐसी यूनिवर्सिटी है, जहां भारत के 17 राज्यों से छात्र मास्टर्स डिग्री के लिए अध्ययन और शोध करने आते हैं। विश्वविद्यालय छात्रों को उद्योग और समाजोपयोगी शोध के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में जीबीयू से मास्टर्स पूरा करने वाले एक छात्र को अमेरिका की प्रतिष्ठित जॉर्जिया यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए लगभग एक करोड़ रुपये की फेलोशिप प्राप्त हुई है, जो विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है। गुजरात सरकार द्वारा स्थापित गुजरात बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी (जीबीयू) विश्व की पहली समर्पित बायोटेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी है, जिसका उद्देश्य प्रोडक्ट-ओरिएंटेड शोध के माध्यम से भविष्य के बायोटेक पेशेवर तैयार करना है। जीआईएफटी सिटी के पास 23 एकड़ में फैली यह यूनिवर्सिटी स्कॉटलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग के सहयोग से स्थापित की गई है। सतीश/18 दिसंबर