गुना (ईएमएस)| जिले में इन दिनों खाद के लिए मची त्राहि-ममाम के बीच अन्नदाता कडक़ड़ाती ठंड में रातों को जागकर लाइनों में लगने को मजबूर है। खाद की एक-एक बोरी के लिए संघर्ष कर रहे किसानों के बीच कानून व्यवस्था संभालने के लिए तैनात पुलिस के दो एकदम विपरीत चेहरे सामने आए हैं। एक ओर जहां खाकी ने मानवीय संवेदना की मिसाल पेश करते हुए एक मरते हुए किसान को नई जिंदगी दी, वहीं दूसरी ओर वर्दी के नशे में चूर एक आरक्षक ने मर्यादाएं लांघते हुए बेबस किसान पर लात-घूंसों की बरसात कर दी। पहला चेहरा: मानवता की मिसाल, आरक्षक अभिनेश बने देवदूत पहली घटना नानाखेड़ी मंडी परिसर की है, जहाँ खाद की कतार में खड़े एक किसान का हृदय अचानक थम गया। वह अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ा, चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। ड्यूटी पर तैनात कैंट थाने के आरक्षक अभिनेश रघुवंशी ने बिना एक पल गंवाए स्थिति की गंभीरता को समझा। अभिनेश ने तत्परता दिखाते हुए किसान को तुरंत सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देना शुरू किया। आरक्षक की मेहनत रंग लाई और कुछ ही मिनटों में किसान की सांसें लौट आईं। अस्पताल में उपचार के बाद अब वह किसान स्वस्थ है। पुलिस अधीक्षक अंकित सोनी ने अभिनेश के इस साहसी और मानवीय कार्य की सराहना करते हुए इसे पूरी पुलिस फोर्स के लिए गर्व का विषय बताया है। दूसरा चेहरा: वर्दी का अहंकार, किसान को घसीटा और पीटा वहीं, दूसरी ओर एक शर्मनाक वीडियो सामने आया है जिसने पुलिस की छवि पर दाग लगा दिया है। एक अन्य खाद वितरण केंद्र पर तैनात पुलिसकर्मी का संवेदनहीन चेहरा दिखा। वीडियो में साफ दिख रहा है कि आरक्षक न केवल किसानों के साथ अभद्र भाषा और गालियों का प्रयोग कर रहा है, बल्कि उसने एक किसान को कॉलर से पकडक़र लाइन से बाहर घसीटा और उस पर बेरहमी से लात-घूंसों की बारिश कर दी। वर्दीधारी ने उस लाचार किसान को टीनशेड से बाहर फेंक दिया। इस दौरान वहां मौजूद अन्य किसान डरे-सहमे खड़ेे रहे। अन्नदाता की बेबसी और प्रशासन की चुनौती ये दोनों घटनाएं उस समय हुई हैं जब जिला प्रशासन और पुलिस बल खाद वितरण को सुचारू बनाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। एक ओर आरक्षक अभिनेश जैसे जवान पुलिस को जन-मित्र साबित कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर बदसलूकी करने वाले जवान शासन की छवि खराब कर रहे हैं। खाद के संकट के बीच किसान पहले से ही मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुका है, ऐसे में पुलिस का हिंसक व्यवहार उसके जख्मों पर नमक छिडक़ने जैसा है। अब नागरिकों ने मांग की है कि जहाँ जान बचाने वाले आरक्षक को पुरस्कृत किया जाए, वहीं किसान को पीटने वाले दोषी पुलिसकर्मी पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए ताकि खाकी का इकबाल कायम रह सके।- सीताराम नाटानी