:: करोड़ों का बजट और श्रमदान के फोटो सेशन के बाद भी बदहाल; इस्कॉन मंदिर के पास स्थित जलस्रोत बना गंदगी का केंद्र :: इंदौर (ईएमएस)। स्वच्छता में सिरमौर इंदौर के माथे पर निपानिया तालाब की बदहाली एक गहरा दाग बनती जा रही है। सांवेर विधानसभा के वार्ड-36 में स्थित यह तालाब आज जल संरक्षण के दावों की पोल खोल रहा है। इस्कॉन मंदिर जैसे प्रमुख स्थल से सटा होने के बावजूद यह तालाब प्रशासनिक संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार की मूक गवाही दे रहा है। कभी इसे वेटलैंड और आदर्श पर्यटन स्थल बनाने के सपने दिखाए गए थे, लेकिन आज यह तालाब जंगली झाड़ियों, बदबू और अतिक्रमण के घेरे में अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रहा है। :: बजट का अदृश्य जीर्णोद्धार और मुरझाए संकल्प :: समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार के. के. झा के अनुसार, दो वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में इस तालाब के संरक्षण हेतु 2 करोड़ रुपए का भारी-भरकम बजट स्वीकृत हुआ था। आज सवाल यह खड़ा होता है कि वह राशि कहां खर्च हुई? तालाब की सूरत नहीं बदली, बल्कि स्थिति और बदतर हो गई। इतना ही नहीं, वृक्षारोपण के नाम पर किए गए सघन प्रचार की हकीकत यह है कि वहां लगाया गया एक भी पौधा जीवित नहीं बचा है। अप्रैल में वर्तमान कलेक्टर एवं तत्कालीन निगम आयुक्त शिवम वर्मा की मौजूदगी में हुए वृहद श्रमदान को स्थानीय निवासी अब महज एक फोटो अपॉर्चुनिटी करार दे रहे हैं, क्योंकि उसके बाद प्रशासन ने दोबारा मुड़कर नहीं देखा। :: मैरिज गार्डनों का ज़हर और रद्दी होता आश्वासन :: तालाब के दूषित होने का सबसे बड़ा कारण बाईपास स्थित होटल और मैरिज गार्डनों का प्रदूषित जल है, जो सीधे इस जलस्रोत में प्रवाहित किया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों ने कई बार ज्ञापन सौंपकर तालाब के चारों ओर छठ घाट, पाथवे, और बगीचे के सौंदर्यीकरण की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें केवल खोखले आश्वासन ही मिले। स्थिति यह है कि एक वर्ष पूर्व जल संसाधन मंत्री का निरीक्षण कार्यक्रम भी एक गमी के चलते रद्द हुआ, जो आज तक दोबारा तय नहीं हो सका। जनप्रतिनिधियों की यह बेरुखी ग्रामीणों और क्षेत्रवासियों के आक्रोश को भड़का रही है। :: इंदौरियत की दुहाई, अब जनता का सवाल :: गोल्ड कॉइन सेवा न्यास के ट्रस्टी दीपेश गुप्ता सहित साईं कृपा कॉलोनी के रहवासियों का कहना है कि यह क्षेत्र का एकमात्र प्रमुख तालाब है। शासन-प्रशासन को इसे बचाने के लिए सामाजिक संस्थाओं और गणमान्य नागरिकों को साथ जोड़कर तत्काल प्रभावी कदम उठाने होंगे। आज निपानिया के नागरिक क्षुब्ध हैं और सीधे सिस्टम से सवाल पूछ रहे हैं - क्या विकास केवल फाइलों और पोस्टरों तक सीमित है? क्या करोड़ों का बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया? क्षेत्रवासी अब प्रशासन की कुंभकर्णीय नींद टूटने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि निपानिया तालाब बदहाली का प्रतीक नहीं, बल्कि पुनर्जीवित जल संरक्षण का उदाहरण बने। :: सिस्टम पर सवाल :: गायब बजट : ₹2 करोड़ की स्वीकृत राशि का जमीनी असर शून्य क्यों? प्रदूषण : होटलों और मैरिज गार्डनों के गंदे पानी पर निगम की चुप्पी क्यों? असफल पौधारोपण : लाखों के पौधे लगाए गए, पर देखभाल के अभाव में एक भी जीवित नहीं! अतिक्रमण : तालाब के कैचमेंट एरिया में सिमटती सीमाओं पर प्रशासन मौन! प्रकाश/18 दिसम्बर 2025