:: बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत विशेष कार्यशाला; सेवा प्रदाताओं को दी जाएगी वैधानिक चेतावनी और प्रशिक्षण :: इंदौर (ईएमएस)। समाज से बाल विवाह जैसी कुरीति को जड़ से मिटाने के लिए इंदौर जिला प्रशासन अब सीधे उन कड़ियों पर प्रहार करने जा रहा है, जिनके माध्यम से विवाह संपन्न होते हैं। कलेक्टर शिवम वर्मा के निर्देशन में आगामी 24 दिसम्बर को कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष (क्र. 210) में एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। सुबह 11:30 बजे से शुरू होने वाले इस सत्र में पहली बार विवाह आयोजनों से जुड़े सभी सेवा प्रदाताओं को एक मंच पर लाकर उन्हें कानून और उनकी जिम्मेदारियों का पाठ पढ़ाया जाएगा। :: 100 दिवसीय सघन अभियान का हिस्सा :: महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देशभर में 27 नवम्बर 2025 से 08 मार्च 2026 तक 100 दिनों का इंटेंसिव थीम अभियान चलाया जा रहा है। इंदौर में इसके प्रथम चरण (27 नवम्बर से 31 दिसम्बर) के तहत यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य बाल विवाह की रोकथाम में सामुदायिक सहभागिता को सुदृढ़ करना है। :: शादी के कार्ड से लेकर विदाई तक हर मोर्चे पर होगी निगरानी :: कार्यशाला में धर्मगुरुओं (पंडित व मौलवी) के साथ-साथ टेंट संचालक, बैंड-बाजा, घोड़ी वाले, हलवाई, गार्डन व धर्मशाला संचालक और प्रिंटिंग प्रेस मालिकों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। अधिकारियों का मानना है कि यदि शादी का कार्ड छापने वाला प्रिंटर और विवाह संपन्न कराने वाला पंडित आयु प्रमाण पत्र की अनिवार्यता सुनिश्चित कर ले, तो बाल विवाह पर स्वतः अंकुश लग जाएगा। इन सेवा प्रदाताओं को बताया जाएगा कि आयु की पुष्टि किए बिना सेवाएं देना किस प्रकार कानूनी पचड़ों में डाल सकता है। प्रशासन की इस मुहिम में स्वयंसेवकों, समाजसेवियों और मीडियाकर्मियों को भी जोड़ा गया है, ताकि सूचना तंत्र को मजबूत कर किसी भी संभावित बाल विवाह को समय रहते रोका जा सके। प्रकाश/18 दिसम्बर 2025