:: खजराना गणेश को पहला न्यौता; कोलकाता के पुष्पों से सजेगा दरबार, 101 कन्याओं का होगा पाद-पूजन :: इंदौर (ईएमएस)। मालवांचल की आध्यात्मिक परंपराओं को सहेजते हुए, अन्न और वनस्पतियों की अधिष्ठात्री देवी मां शाकम्भरी (सकराय माताजी) का 26वां वार्षिकोत्सव आगामी 3 जनवरी को बायपास स्थित सम्पत पैलेस गार्डन पर भव्यता के साथ आयोजित किया जाएगा। महोत्सव की औपचारिक शुरुआत गुरुवार को प्रथम पूज्य खजराना गणेश और मां महालक्ष्मी को प्रथम निमंत्रण पत्र समर्पित कर की गई। इस आयोजन में मालवा के विभिन्न अंचलों से हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। आयोजन समिति के संयोजक प्रभारी गोपाल अग्रवाल, रामप्रसाद सोंथलिया और जयेश अग्रवाल ने बताया कि उत्सव का शुभारंभ सुबह 9 बजे आचार्य पं. प्रद्युम्न दीक्षित के निर्देशन में मंडल पूजन और स्थापना के साथ होगा। दोपहर 2 बजे से प्रख्यात गायिका ममता गर्ग द्वारा मां शाकम्भरी का संगीतमय मंगल पाठ प्रस्तुत किया जाएगा। महोत्सव का विशेष आकर्षण कोलकाता से मंगाए गए दुर्लभ पुष्पों से तैयार भव्य गजरा और पंडाल की साज-सज्जा होगी। शाम को मातारानी को छप्पन भोग अर्पित किया जाएगा और 101 कन्याओं का पाद-पूजन कर आशीष लिया जाएगा। सायं 6:45 बजे पं. विश्वजीत महाराज के सानिध्य में होने वाली अलौकिक तांडव आरती होगी। साथ ही, उज्जैन के पं. नंदू गुरु और उनकी टीम द्वारा मां नर्मदा की भव्य आरती संपन्न की जाएगी। आयोजन समिति ने भोजन प्रसादी और व्यवस्थाओं के लिए किशनलाल एरन, हरिनारायण बंसल और मनीष खजांची सहित विभिन्न प्रभारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। :: प्रकृति की रक्षक हैं मां शाकम्भरी :: पौराणिक संदर्भों के अनुसार, मां शाकम्भरी आदिशक्ति का वह ममतामयी रूप हैं, जिन्होंने भीषण अकाल के समय अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों से सृष्टि का भरण-पोषण किया था। शिवालिक पहाड़ियों में तपस्या के कारण उन्हें शताक्षी और शाकम्भरी के रूप में पूजा जाता है। यह महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति और हरियाली के संरक्षण का संदेश भी देता है। प्रकाश/18 दिसम्बर 2025 संलग्न चित्र - खजराना गणेश को माँ शाकम्भरी जयंती का पहला न्यौता समर्पित करते श्रद्धालुजन।