भोपाल(ईएमएस)। धर्मांतरण के एक मामले में अदालत ने सुनवाई पूरी होने पर आरोपी डॉक्टर मेनिस मैथ्यूज को साक्ष्यो के आभाव में बरी कर दिया है। गौरतलब है की अक्टूबर 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत दर्ज कई एफआईआर को रद्द कर दिया था, जिनमें कथित तौर पर सामूहिक धर्मांतरण का आरोप लगाया गया था, और डॉ. मेनिस मैथ्यूज भी उन्हीं मामलों में शामिल थे। जानकारी के अनुसार डॉ. मेनिस मैथ्यूज बैरागढ़ में स्थित निजी स्कूल के संचालक भी हैं, उन पर स्कूल और ब्रॉडवेल क्रिश्चियन अस्पताल सोसायटी से जुड़े मामलों में अवैध धर्मांतरण का आरोप लगा था। उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और राज्य के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मामले दर्ज किए गए थे। सूनवाई पूरी होने पर कोर्ट ने अपने फैसले में पाया कि जांच एजेंसियों द्वारा एकत्र की गई सामग्री जांच की सत्यनिष्ठा के संबंध में कोई विश्वास पैदा करने में विफल रही। वहीं धर्मांतरित होने का दावा करने वाले किसी भी कथित पीड़ित ने पुलिस से संपर्क नहीं किया और शिकायत में कानूनी खामियां थीं, इसलिए अदालत ने मामलों को रद्द कर दिया। - मई 2022 का था मामला जानकारी के अनुसार यह मामला राजधानी के बैरागढ़ थाना क्षेत्र में मई 2022 को सामने आया था। पुलिस ने नई बस्ती बैरागढ़ में रहने वाले महेंद्र उर्फ विक्की नाथ की शिकायत पर क्राइस्ट मेमोरियल स्कूल में धर्म परिवर्तन कराए जाने की शिकायत की थी। पुलिस मौके पर पहुंची, तो काफी संख्या में हिंदू लड़के-लड़कियां यीशु की प्रार्थना करते मिले। यहां राजेश मालवीय अपनी 23 साल की बेटी रिद्दिका मालवीय के साथ मिलकर लोगों के बीच क्रिश्चियन धर्म का प्रचार कर रहा था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर राजेश मालवीय, रितिका मालवीय, कामिनी जॉन, पॉल पौलुस सहित मनीष मैथ्यू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जुनेद / 19 दिसंबर