नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद को लेकर समाज में कई तरह की गलतफहमियां प्रचलित हैं। ऐसी ही गलफहमियों को दूर करने के लिए भारत सरकार का आयुष मंत्रालय समय-समय पर आयुर्वेद से जुड़ी सही और वैज्ञानिक जानकारी साझा करता है। मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद केवल इलाज की पद्धति नहीं, बल्कि संतुलित और दीर्घायु जीवन का संपूर्ण विज्ञान है, जिसे सही तरीके से अपनाकर बेहतर स्वास्थ्य पाया जा सकता है। आयुर्वेद को लेकर सबसे आम धारणा यह है कि इसका असर बहुत धीरे होता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह पूरी तरह से एक मिथक है। आयुर्वेद सही निदान और योग्य चिकित्सक की देखरेख में प्रभावी ढंग से काम करता है। यह सच है कि आयुर्वेद लक्षणों को दबाने के बजाय बीमारी की जड़ पर काम करता है, इसलिए कुछ मामलों में समय लग सकता है, लेकिन इसके परिणाम लंबे समय तक टिकाऊ और सुरक्षित होते हैं। आयुष मंत्रालय के मुताबिक, यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है। एक और प्रचलित गलतफहमी यह है कि आयुर्वेद सिर्फ जड़ी-बूटियों तक सीमित है। विशेषज्ञ बताते हैं कि आयुर्वेद एक संपूर्ण जीवनशैली आधारित चिकित्सा प्रणाली है। इसमें केवल औषधियों का ही नहीं, बल्कि सही आहार-विहार, दिनचर्या, ऋतु के अनुसार जीवनशैली, योग, प्राणायाम, ध्यान और मानसिक संतुलन पर भी विशेष जोर दिया जाता है। पंचकर्म जैसी शुद्धिकरण थेरेपी भी आयुर्वेद का अहम हिस्सा हैं, जो शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती हैं। कई लोग यह भी मानते हैं कि आयुर्वेद केवल पुरानी या गंभीर बीमारियों के लिए ही उपयोगी है, जबकि यह धारणा भी सही नहीं है। आयुर्वेद का मूल उद्देश्य रोगों की रोकथाम और संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखना है। यह मौसमी बीमारियों, पाचन संबंधी समस्याओं, तनाव, अनिद्रा और रोजमर्रा की स्वास्थ्य परेशानियों में भी कारगर साबित होता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद को जीवन के हर चरण में, बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक अपनाया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आयुर्वेद को जीवनशैली का हिस्सा बनाया जाए, तो यह न केवल बीमारियों से बचाव करता है, बल्कि व्यक्ति को ऊर्जावान, संतुलित और सकारात्मक जीवन जीने में भी मदद करता है। सुदामा/ईएमएस 21 दिसंबर 2025