अंतर्राष्ट्रीय
22-Dec-2025
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-ईरानी अधिकारी बोले-मिसाइल अभियान के चलते ट्रंप चाहते हैं ईरान पर हमला हो तेल अवीव,(ईएमएस)। ऐसी जानकारी मिल रही रही है कि इजराइल ईरान पर फिर हमला कर सकता है। ईरान के बलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से भड़का इजराइल फिर ईरान पर स्ट्राइक करने की योजना बना रहा है। 29 दिसंबर को इजराइली पीएम नेतन्याहू अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। इस दौरान वह ट्रंप को आगे की योजना पर पूरी जानकारी दे सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में ईरान के अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि मिसाइल अभियान के चलते डोनाल्ड ट्रंप भी चाहते हैं कि ईरान पर हमला हो। अधिकारी ने कहा कि इजराइल ने अमेरिका के अधिकारियों से पहले भी इस बारे में बात की है। बता दें इजराइल और ईऱान में हाल ही में युद्ध हुआ था। इसके बाद अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की थी। रिपोर्ट्स में बताया गया कि ईरान ने परमाणु ठिकाने फिर से बना लिए हैं और इसको लेकर इजराइल चिंतित है। वहीं ईरान बलिस्टिक मिसाइल बनाने जा रहा है जिससे इजराइल को डर सता रहा है। सूत्रों का कहना है कि बेंजामिन नेतन्याहू डोनाल्ड ट्रंप से पूछ सकते हैं कि ईरान के खिलाफ अभियान में अमेरिका किस तरह की मदद करेगा। आईएईए के महानिदेशक राफ़ेल ग्रॉसी ने कहा है कि संगठन ईरान के सबसे संवेदनशील परमाणु ठिकानों तक पहुंच नहीं बना सका है। उधर ईरान ने कहा है कि वह अपने परमाणु संयंत्रों और वैज्ञानिकों की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण आईएईए पर भरोसा नहीं कर सकता। रूस की समाचार एजेंसी के हवाले से कहा गया है कि अमेरिका और ईरान के बीच हालात सामान्य होने के बाद निरीक्षक कुछ परमाणु इकाइयों पर गये थे, लेकिन जिन परमाणु ठिकानों को उस समय अमेरिकी हमले में नुकसान हुआ था वहां वे अब भी नहीं पहुंच पाये थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें उन्हीं ठिकानों पर जाने दिया गया है जिन पर हमला नहीं हुआ था। बता दें इजराइल और ईरान के बीच जून 2025 में तनाव बढ़ गया था और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हवाई हमले किए थे। इजराइल ने ईरान पर एक खुफिया परमाणु कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया था, जिसे ईरान ने सिरे से ख़ारिज कर दिया। इजराइल ने इस दावे के साथ 13 जून को ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला बोला था। इसके नौ दिन बाद अमेरिका ने भी 22 जून को नतांज़, इस्फ़ाहन और फोर्डा में ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। अमेरिकी हमलों के बाद ईरान ने जून के आखिर में एक संसदीय कानून के तहत आईएईए के साथ अपना सहयोग निरस्त कर दिया था। ईरान ने कहा था कि एजेंसी इज़राइली और अमेरिकी हमलों की निंदा करने में असमर्थ रही है। इसके साथ ही ईरान ने अपने परमाणु ठिकानों और वैज्ञानिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं का हवाला भी दिया था। सिराज/ईएमएस 22 दिसंबर 2025