भोपाल(ईएमएस)। एम्स भोपाल निरंतर चिकित्सा सेवाओं और शोध के क्षेत्र में नवाचार और समाजोपयोगी कार्यों के माध्यम से नई उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है। इसी क्रम में, एम्स भोपाल के ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. बाबू लाल को हेल्थ साइंसेज श्रेणी में प्रतिष्ठित यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार एम्स जोधपुर में आयोजित नेशनल बायोमेडिकल रिसर्च कॉम्पिटिशन (एनबीआरकॉम 2025) के अंतर्गत प्रदान किया गया। डॉ. बाबू लाल को यह सम्मान अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित उनकी अभिनव तकनीक के लिए दिया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य नेत्र और अस्थि दान के प्रति आम लोगों की झिझक को दूर करना है। वर्तमान में, मृत अंगदाताओं के परिजनों के बीच एक बड़ी चिंता ऊतक निकासी के बाद शरीर में दिखाई देने वाली विकृति को लेकर होती है। ऐसी स्थिति में शरीर की प्राकृतिक आकृति को पुनः स्थापित करने की कोई मानक व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। इस महत्वपूर्ण समस्या को ध्यान में रखते हुए, डॉ. बाबू लाल ने कंप्यूटर एडेड डिजाइन (सीएडी) और 3डी प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से एक नवीन समाधान विकसित किया। उन्होंने मानव अस्थि और नेत्र संरचना से मिलते-जुलते, प्राकृतिक स्वरूप वाले एनाटॉमिकली एनालॉगस प्रोस्थेसिस डिजाइन किए। इन प्रोस्थेसिस को ऊतक निकासी के बाद शरीर में स्थापित किया जा सकता है, जिससे शरीर का प्राकृतिक स्वरूप पुनः प्राप्त हो जाता है और अंगदान प्रक्रिया परिजनों के लिए अधिक स्वीकार्य बनती है। ये प्रोस्थेसिस पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) से निर्मित हैं, जो एक पर्यावरण अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल सामग्री है। इससे दफन या दाह संस्कार के बाद भी सुरक्षा सुनिश्चित होती है। यह तकनीक विश्व में अपनी तरह की पहली है और इसके लिए डॉ. बाबू लाल को पेटेंट भी प्रदान किया जा चुका है। यह नवाचार भविष्य में अंगदान के प्रति जनस्वीकृति को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह उपलब्धि एम्स भोपाल के मजबूत शोध परिवेश और सहयोगी शैक्षणिक वातावरण को दर्शाती है, जो निरंतर नवाचार और ट्रांसलेशनल रिसर्च को प्रोत्साहित करता है। नेशनल बायोमेडिकल रिसर्च कॉम्पिटिशन (एनबीआरकॉम) एक प्रमुख राष्ट्रीय मंच है, जो बायोमेडिकल नवाचार में उत्कृष्टता को मान्यता देता है और देशभर के चिकित्सकों, शोधकर्ताओं एवं युवा नवोन्मेषकों को प्रोत्साहित करता है। डॉ. बाबू लाल को इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर बधाई देते हुए एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानन्द कर ने इस नवाचार की सराहना की और इसे स्वास्थ्य अनुसंधान एवं तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रकार के नवाचार भारत में अंगदान को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य शोध को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे। एम्स भोपाल भविष्य में भी चिकित्सा शोध, नवाचार और जनसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को सुदृढ़ करने वाली ऐसी उपलब्धियों की अपेक्षा करता है। हरि प्रसाद पाल / 22 दिसम्बर, 2025