श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक ने दी जानकारी पुरी,(ईएमएस)। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढ़ी ने कहा, हमारी जानकारी के अनुसार, गजपति महाराजा ने इस्कॉन द्वारा गैर निर्धारित समय पर रथ यात्रा निकालने की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दे दी है। मंदिर प्रशासन का कहना है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में रथ यात्रा शास्त्र सम्मत और पारंपरिक तिथियों के बजाय अन्य दिनों में आयोजित हो रही है। पीएमओ को भेज संदेश में इस बात पर जोर दिया गया है कि सदियों पुरानी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं को अक्षुण्ण रखा जाना चाहिए। पुरी के नाममात्र के राजा, गजपति महाराजा दिब्यसिंह देव ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस पर श्री जगन्नाथ संस्कृति के खिलाफ गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया। जगन्नाथ संस्कृति का मतलब ओडिशा के मुख्य देवता भगवान जगन्नाथ की पूजा से जुड़ी परंपराएं, रीति-रिवाज और दार्शनिक मान्यताएं हैं। गजपति महाराजा ने इस्कान द्वारा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा गैर परंपरागत तिथियों पर’ आयोजित करने की ओर पीएम मोदी का ध्यान आकर्षित किया। वहीं इस्कॉन ने गजपति महाराजा को सूचित किया है कि व्यवस्थागत समस्याओं के कारण विभिन्न देशों में एक ही तिथि पर रथ यात्रा आयोजित करना संभव नहीं है। जगन्नाथ संस्कृति की पवित्रता के लिए खतरा उन्होंने कहा, समय से पहले रथ यात्रा का आयोजन करना एक गंभीर विचलन है। इस्कॉन, शास्त्रों और श्री जगन्नाथ परंपरा का उल्लंघन कर रहा है। जिसका अनुसरण अब अन्य लोग भी कर रहे हैं, जिससे जगन्नाथ संस्कृति की पवित्रता कमजोर हो रही है। उन्होंने ओडिशा और पूरे देश के लोगों को जगन्नाथ संस्कृति के प्रचार के नाम पर शास्त्रों के निर्देशों से विचलन के रूप में वर्णित कार्यों के प्रति आगाह किया। शास्त्रों के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि (जून-जुलाई) को आयोजित की जाती है। हालांकि, इस्कॉन ने एसजेटीएमसी को लिखे पत्र में कहा है कि विश्व स्तर पर मनाई जाने वाली इस रथ यात्रा को किसी एक निश्चित तिथि पर आयोजित करना संभव नहीं होगा। ओड़िया लोगों को शांतिप्रिय और सहिष्णु मानते हुए प्रतीकात्मक राजा ने कहा कि धार्मिक विद्वानों और भक्तों के लिए अपने विचार दृढ़ता से व्यक्त करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा, चुप रहने से विचलन को और बढ़ावा मिल सकता है। यदि कड़ा विरोध नहीं किया गया तो अनियमित अनुष्ठान धीरे-धीरे सामान्य हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस्कॉन के साथ कई दौर की बातचीत से कोई परिणाम नहीं निकला है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रथ यात्रा का पालन शास्त्रों में दिए गए निर्देशों और पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के अनुसार ही किया जाना चाहिए। एसजेटीएमसी को 19 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में इस्कॉन गवर्निंग बॉडी कमीशन के अध्यक्ष गोवर्धन दास ने कहा कि संगठन ने भारत और विदेश में स्थित अपने सभी मंदिरों में ज्येष्ठ पूर्णिमा की निर्धारित तिथि पर स्नान यात्रा मनाने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि, उन्होंने कहा कि शास्त्रों और परंपरा द्वारा निर्धारित तिथि पर भारत के बाहर रथ यात्रा निकालने के एसजेटीएमसी के निर्णय से इस्कॉन सहमत नहीं हो सका। आशीष दुबे / 23 दिसंबर 2025