ढाका (ईएमएस)। बांग्लादेश में मीडिया की स्वतंत्रता पर खतरे के संकेत एक बार फिर सामने आए हैं। देश के निजी टीवी न्यूज चैनल ग्लोबल टीवी बांग्लादेश की न्यूज हेड और वरिष्ठ पत्रकार नाजनीन मुन्नी को कट्टरपंथी समूहों ने निशाने पर ले लिया है। कथित आंदोलनकारी युवाओं ने नाजनीन मुन्नी को पद से हटाने की मांग करते हुए चैनल के दफ्तर को आग लगाने की धमकी दी है। यह धमकी ऐसे समय आई है, जब हाल ही में बांग्लादेश के दो प्रमुख समाचार संस्थानों प्रथम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर हमला कर आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक, खुद को एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट से जुड़ा बताने वाले 7-8 युवाओं का एक समूह 21 दिसंबर 2025 को ढाका के तेजगांव इलाके में स्थित ग्लोबल टीवी के कार्यालय पहुंचा। इन युवाओं ने चैनल प्रबंधन को साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर न्यूज हेड नाजनीन मुन्नी को हटाया नहीं गया, तो चैनल के दफ्तर को भी प्रथम आलो और द डेली स्टार की तरह जला दिया जाएगा। कट्टरपंथी समूह का आरोप है कि चैनल ने इंकलाब मंच के प्रवक्ता शहीद शरीफ उस्मान हादी की मौत की कवरेज “ठीक ढंग से” नहीं की। इसी मुद्दे को आधार बनाकर नाजनीन मुन्नी पर राजनीतिक पक्षपात का आरोप लगाया जा रहा है। युवाओं ने दावा किया कि नाजनीन मुन्नी अवामी लीग की समर्थक हैं और इसलिए उन्हें न्यूज हेड के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर नाजनीन मुन्नी ने खुद सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट की सिटी यूनिट के नाम पर आए युवाओं ने उन्हें नौकरी छोड़ने की धमकी दी और दफ्तर जलाने की चेतावनी दी। नाजनीन मुन्नी के अनुसार, धमकी देने वाले युवाओं ने चैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर अहमद हुसैन से एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की, जिसमें 48 घंटे के भीतर उन्हें नौकरी से हटाने की बात लिखी थी। हालांकि, एमडी ने उस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। नाजनीन मुन्नी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उन पर लगाए जा रहे अवामी लीग से जुड़े होने के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने कहा, “अगर कोई यह साबित कर दे कि मेरा अवामी लीग से कोई संबंध है, तो मैं खुद जवाब देने को तैयार हूं। लेकिन अब तक एक भी सबूत पेश नहीं किया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि वह धमकियों से डरने वाली नहीं हैं और यह पूरा मामला मीडिया को डराने और दबाने की कोशिश का हिस्सा है। गौरतलब है कि एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट ने पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए विद्रोह में अहम भूमिका निभाई थी। बाद में इसी मंच से एक नई राजनीतिक पार्टी नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) भी बनाई गई। लेकिन अब इसी आंदोलन से जुड़े कुछ तत्वों पर कट्टरपंथी रुख अपनाकर मीडिया को निशाना बनाने के आरोप लग रहे हैं। मीडिया विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जिस तरह खुलेआम धमकियां दी जा रही हैं और पहले भी मीडिया दफ्तरों को आग के हवाले किया जा चुका है, वह लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक संकेत है।