कोलकाता,(ईएमएस)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026 से पहले नवगठित जनता उन्नयन पार्टी (जेयूपी) के भीतर गहरा राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। पार्टी के संस्थापक हुमायूं कबीर ने दक्षिण कोलकाता की बालीगंज सीट से घोषित उम्मीदवार निशा चटर्जी का नामांकन रद्द कर दिया। कबीर ने इस फैसले के पीछे निशा चटर्जी की सोशल मीडिया गतिविधियों, विशेषकर उनकी तस्वीरों और वीडियो को कारण बताया है। कबीर का तर्क है कि उम्मीदवार के सोशल मीडिया रील्स और तस्वीरें उनकी पार्टी की सार्वजनिक छवि के अनुरूप नहीं हैं और इससे मतदाताओं के बीच गलत संदेश जा सकता है। हुमायूं कबीर, जो भरतपुर से विधायक हैं, उन्हें हाल ही में मुर्शिदाबाद में विवादित मस्जिद निर्माण की योजना की घोषणा के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से निलंबित कर दिया गया था। इसके तुरंत बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी जनता उन्नयन पार्टी का गठन किया और आठ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की थी। बालीगंज सीट पर विवाद के बाद कबीर ने संकेत दिया है कि इस क्षेत्र के लिए जल्द ही नई महिला उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी, जो संभवतः अल्पसंख्यक समुदाय से हो सकती हैं। कबीर का कहना है कि पार्टी के प्रमुख होने के नाते उन्हें अनुशासन और छवि बनाए रखने के लिए ऐसे निर्णय लेने का पूर्ण अधिकार है। दूसरी ओर, टिकट काटे जाने से नाराज निशा चटर्जी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए हुमायूं कबीर पर सांप्रदायिक राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि उनके वीडियो और तस्वीरों का बहाना केवल एक दिखावा है, उन्हें वास्तव में इसलिए हटाया गया क्योंकि वह हिंदू हैं। निशा का कहना है कि हुमायूं कबीर ने स्वयं उन्हें चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था और वह उनकी विवादित मस्जिद योजना का भी समर्थन कर रही थीं। उन्होंने इस घटनाक्रम को अपनी सामाजिक गरिमा पर प्रहार बताते हुए कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। हुमायूं कबीर की राजनीतिक गतिविधियां पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा में बनी हुई हैं। विशेष रूप से मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर को प्रस्तावित मस्जिद की आधारशिला रखने के उनके कदम ने राज्य की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है। चुनावों से ठीक पहले पार्टी के भीतर उठा यह अंतर्विरोध और टिकट वापसी का मामला अब पश्चिम बंगाल की राजनीति में धर्मनिरपेक्षता और उम्मीदवार चयन की शुचिता जैसे विषयों पर नई बहस को जन्म दे रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद जेयूपी की चुनावी संभावनाओं पर क्या प्रभाव डालता है। वीरेंद्र/ईएमएस/24दिसंबर2025