ढाका,(ईएमएस)। बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक अस्थिरता के बीच छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या ने देश के माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग के महासचिव शेख एनान ने हादी की हत्या में अपने संगठन की संलिप्तता के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। एक गुप्त स्थान से दिए गए अपने बयान में एनान ने इसे मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का एक सोची-समझी साजिश करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार केवल सत्ता में बने रहने के लिए कट्टरपंथी और आतंकवादी तत्वों को संरक्षण दे रही है, जिससे देश का सामाजिक ढांचा और आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है। शेख एनान ने अगस्त 2024 में हुए विद्रोह को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या की एक नाकाम साजिश का हिस्सा बताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समय पर की गई मदद की वजह से ही शेख हसीना की जान बचाई जा सकी, जिसके लिए वे भारत के प्रति अत्यंत आभारी हैं। एनान के अनुसार, यूनुस सरकार अब विदेशी शक्तियों के एजेंडे को लागू कर रही है और आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित कर रही है। उनका तर्क है कि जब आवामी लीग के समर्थक स्वयं सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं और बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं, तो वे किसी की हत्या कैसे कर सकते हैं? भारत-बांग्लादेश संबंधों पर चर्चा करते हुए एनान ने 1971 के मुक्ति संग्राम की याद दिलाई और कहा कि भारत हमेशा से एक धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश का मित्र रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान अशांति का उद्देश्य भारत को सीमावर्ती विवादों और अस्थिरता में उलझाए रखना है, इसलिए भारत को भी वर्तमान अंतरिम प्रशासन की गतिविधियों से सतर्क रहने की आवश्यकता है। दूसरी ओर, उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक हिंसा देखी गई, जिसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों और प्रेस को निशाना बनाया गया। हादी, जो 2024 के विद्रोह के एक प्रमुख चेहरे थे, की ढाका में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और इलाज के दौरान उन्होंने सिंगापुर में दम तोड़ दिया। इसी बीच, ढाका में क्रूड बम विस्फोट की एक ताजा घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई। देश में लगातार हो रही बमबारी और हिंसा की घटनाओं ने फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और विशेषकर अमेरिकी सांसदों ने भी अंतरिम सरकार को राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने और विवादास्पद ट्रिब्यूनल को फिर से जीवित करने के परिणामों के प्रति आगाह किया है। जैसे-जैसे 12 फरवरी 2026 की मतदान तिथि नजदीक आ रही है, बांग्लादेश में राजनीतिक संघर्ष और तेज होने के आसार हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/25दिसंबर2025