अंतर्राष्ट्रीय
25-Dec-2025


-भारत को पत्र भेजकर इस घटनाक्रम को ‘गंभीर और चिंताजनक’ बताया इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पाकिस्तान ने भारत से आने वाली झेलम नदी में घटते जल स्तर को लेकर चिंता जताई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चिनाब नदी के प्रवाह में खतरनाक गिरावट का मुद्दा उठाने के कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत द्वारा झेलम नदी के पानी को अचानक रोककर छोड़ना एक गंभीर मुद्दा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद जिसमें 26 लोग मारे गए थे उसके बाद भारत ने 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद से यह ताजा तनावपूर्ण स्थिति है। क्या वाकई भारत झेलम नदी के पानी के प्रवाह को रोक रहा है, जैसा कि पाकिस्तान दावा करता है? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि झेलम और चिनाब नदियों में जलस्तर में ‘असामान्य गिरावट’ देखी जा रही है। अधिकारियों ने कहा है कि नदियों में जलस्तर 5,000 क्यूसेक से घटकर करीब 3,000 क्यूसेक रह गया है। पाकिस्तान ने इस हफ्ते भारत को पत्र भेजकर इस घटनाक्रम को ‘गंभीर और चिंताजनक’ बताया है। पत्र में दावा किया गया है कि यह घटनाक्रम 24 करोड़ लोगों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना रबी की बुवाई के मौसम में घटी है, जो कृषि चक्र का एक अहम समय होता है। पाकिस्तान के आईडब्ल्यूटी कमिश्नर सैयद मेहर अली शाह ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि झेलम नदी में भारत के ऊपरी हिस्से से मीरपुर स्थित मंगला बांध तक पानी का प्रवाह कम हो रहा है। मंगला बांध इस्लामाबाद से करीब दो घंटे की दूरी पर स्थित है। पाकिस्तान के पंजाब का बड़ा हिस्सा झेलम नदी पर निर्भर है, जिसमें छज दोआब क्षेत्र भी शामिल है। सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह वास्तव में गंभीर और चिंताजनक है क्योंकि कुल 25 मिलियन एकड़ कृषि भूमि में से करीब 15 मिलियन एकड़ भूमि, जिसकी सिंचाई कई नहरों के जरिए की जाती है, को इन दिनों या तो कम पानी मिल रहा है या बिल्कुल भी पानी नहीं मिल रहा है। अधिकारियों ने भारत पर बगलिहार बांध में जानबूझकर पानी रोके रखने का आरोप लगाया है। मंत्रालय ने दावा किया कि 8 दिसंबर की सैटेलाइट तस्वीरों से बगलिहार जलाशय के सतही क्षेत्रफल में उल्लेखनीय कमी देखी गई, जो 13 दिसंबर तक और भी स्पष्ट हो गई। मंत्रालय के मुताबिक जलाशय की सतह में कमी और फिर वृद्धि का पैटर्न यह दर्शाता है कि जलाशय को खाली कर दिया गया था और बाद में फिर से भर दिया गया। पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक आए बदलावों को लेकर नई दिल्ली को पत्र भेजा था जिसमें दावा किया गया था कि भारत ने 7 और 8 दिसंबर के बीच 58,000 क्यूसेक पानी छोड़ा, जिसके बाद जलस्तर में अचानक कमी आई। हालांकि, कुछ दिनों बाद पाकिस्तान ने बताया कि चिनाब नदी का जलस्तर स्थिर हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के दावों के बावजूद, उसने अभी तक भारत से औपचारिक रूप से संपर्क नहीं किया है। शाह ने कहा है कि पाकिस्तान नदियों के जलस्तर पर नजर रख रहा है। फिलहाल हमने चिनाब नदी के मुद्दे पर भारत को पत्र लिखा है। जवाब मिलने पर हम इस मामले पर आगे विचार करेंगे। भारत ने पाकिस्तान द्वारा भेजे गए किसी भी पत्र का अभी तक जवाब नहीं दिया है। अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि भारत जानबूझकर ऐसा कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बदलाव असामान्य नहीं हैं, क्योंकि नदियों का प्रवाह मौसम, बर्फ पिघलने, वर्षा और बांध संचालन जैसे कारकों के आधार पर बदलता रहता है। बता दें भारत ने 1960 में तत्कालीन जवाहरलाल नेहरू सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि में यह बताया गया है कि सिंधु जल के नाम से जानी जाने वाली छह नदियों और उनकी सहायक नदियों के जल का उपयोग दोनों देश कैसे करेंगे। समझौते के तहत, भारत को पूर्वी तीन नदियों– रावी, सतलुज और ब्यास– के असीमित उपयोग का अधिकार दिया गया। वहीं, पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों– सिंधु, चिनाब और झेलम– पर नियंत्रण दिया गया। पहलगाम हमले के बाद भारत ने संधि को तब तक के लिए स्थगित कर दिया जब तक कि “पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता। सिराज/ईएमएस 25दिसंबर25