अंतर्राष्ट्रीय
25-Dec-2025


इस्लामाबाद (ईएमएस)। पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस कंपनी पीआईए बिक (पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस सोल्ड) गई है। बिजनेस टाइकून आरिफ हबीब के ग्रुप ने पीआईए में मैजोरिटी हिस्सेदारी 135 अरब पीकेआर में खरीदी है। कभी पाकिस्तान की इस एयरलाइंस का दुनिया में दबदबा था, लेकिन सरकार की अनदेखी और मिसमैनेजमेंट की वजह से इसका घाटा बढ़ता गया और आखिरकार इसे बेचना पड़ा। आरिफ हबीब देश के सबसे अमीरों में शामिल हैं और खास बात ये है कि इनका भारत से गहरा नाता है। लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में हालात किस कदर खराब है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार ने देश की सरकार एयरलाइंस तक बेच दी है। पीआईए (पीआईए) को इस्लामाबाद में हुई एक बिडिंग सेरेमनी में 135 अरब पाकिस्तानी रुपये में बिजनेसमैन आरिफ हबीब ने खरीदा। सबसे बड़े बिडर के तौर पर उन्होंने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की है। रिपोर्ट्स की मानें तो अब बाकी की बची 25 प्रतिशत स्टेकहोल्डिंग खरीदने के लिए 90 दिन का समय होगा। इसके अलावा इन्वेस्टर को अगले 5 सालों में 80 अरब रुपये का निवेश भी करना होगा। आरिफ हबीब एक प्रमुख पाकिस्तानी उद्योगपति हैं और देश के सबसे अमीरों की लिस्ट में शामिल हैं। आरिफ हबीब ग्रुप के फाउंडर और सीईओ ने समूह के कारोबार को कई सेक्टर्स में फैलाया है। खास बात ये है कि 1953 में जन्मे आरिफ हबीब ने 10वीं की पढ़ाई के बाद 1970 में ब्रोकरेज बिजनेस में एंट्री ली थी और अपनी पेशेवर यात्रा की शुरुआत करने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिलहाल, आरिफ हबीब ग्रुप का विशाल कारोबार फाइनेंशियल सर्विसेस, केमिकल, सीमेंट, स्टील, रियल एस्टेट और एनर्जी सेक्टर तक फैला हुआ है। उनके समूह की प्रमुख कंपनियों की बात करें, तो वह फातिमा फर्टिलाइजर, आयशा स्टील मिल्स और जावेदन कॉर्पोरेशन समेत बड़े बिजनेस की कमान संभाल रहे हैं। इनके नेतृत्व में ग्रुप पाकिस्तान के सबसे तेजी से बढ़ते मल्टी-सेक्टर बिजनेस ग्रुप में से एक बना है। पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस कंपनी PIA को खरीदने वाले पाकिस्तानी रईस आरिफ हबीब का भारत से भी गहरा नाता है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें, तो आरिफ हबीब के माता-पिता चाय के कारोबार से जुड़े हुए थे और 1948 में भारत के गुजरात में स्थित बंटवा से नए बने पाकिस्तान में चले गए थे।कराची में जन्मे आरिफ हबीब का परिवार जब पाकिस्तान पहुंचा था, तो उनकी आर्थिक हालात ठीक नहीं थी। सुदामा नरवरे/25 दिसंबर 2025