क्षेत्रीय
26-Dec-2025
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- नया साल में दिखावे के संकल्प न ले, खुद को समझे और धीरे-धीरे आगे बढ़े का प्रयास करे भोपाल(ईएमएस)। हर नया साल अपने साथ नई उम्मीदें और नए सपने लेकर आता है। साल के पहले दिन लोग पूरे जोश के साथ यह तय करते हैं, कि इस बार खुद पर काम करेंगे, जो पिछली बार अधूरा रह गया उसे पूरा करेंगे और ज़िंदगी को बेहतर दिशा देंगे। शुरुआत भी पूरे उत्साह से होती है, लेकिन कुछ ही दिनों या हफ्तों में वही संकल्प डायरी, फाइलों और मन के किसी कोने में दबकर रह जाते हैं। यह कहना है, मनोवैज्ञानिक,मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, ऑथर एवं लेखक डॉ. संदीप गोहे का। अपने विचार व्यक्त करते हुए वह आगे कहते है की सवाल यह नहीं है, कि लोग प्लान क्यों बनाते हैं, असली सवाल यह है कि वे टिक क्यों नहीं पाते। अक्सर लोग बड़े लक्ष्य तो तय कर लेते हैं, लेकिन अपनी रोज़मर्रा की आदतों में कोई ठोस बदलाव नहीं करते। जब प्लान आदतों से नहीं जुड़ता, तो वह धीरे-धीरे बोझ लगने लगता है, और बोझ ज्यादा दिन नहीं चलता। कई बार व्यक्ति यह मान लेता है, कि नया साल आते ही सब कुछ बदल जाएगा, जबकि सच्चाई यह है, कि केवल कैलेंडर बदलने से मन नहीं बदलता। मानसिक तैयारी के बिना कोई भी योजना लंबी नहीं चल पाती। बहुत बड़े लक्ष्य और तुरंत परिणाम की उम्मीद व्यक्ति को जल्दी थका देती है। निराशा बढ़ती है, और अंत में यह सोच हावी हो जाती है कि मुझसे नहीं होगा। उन्होनें कहा की लक्ष्य हासिल करने का मत्रं केवल आपके द्वारा ईमानदारी और मेहनत से लगातार किये गये प्रयास है, और संकल्प वही होते हैं, जो छोटे हों, रोज़मर्रा की आदतों से जुड़े हों और इंसान खुद को समझते हुए बनाए। नया साल दिखावे के संकल्प लेने का नहीं खुद को समझकर धीरे-धीरे आगे बढ़ने का अवसर है। जो रोज़ थोड़ा-थोड़ा निभाता है, वही सच में सफल होता है। जुनेद / 26 दिसंबर