क्षेत्रीय
26-Dec-2025


रांची(ईएमएस)।प्रदेश राजद प्रवक्ता एवं झारखंड ओबीसी आरक्षण मंच के केंद्रीय अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा है कि विगत 15 नवंबर 2000 में एकीकृत बिहार से अलग झारखंड राज्य निर्माण के दौरान राज्य में एसटी एसीसी ओबीसी को 50 फीसदी आरक्षण था, जिसमें ओबीसी को 27% एससी को 15 एवं एसटी वर्ग को 7.5% फीसदी आरक्षण होने से इन वर्गों को आर्थिक,सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप में सीधा लाभ मिल रहा था।विगत 15 नवंबर 2000 को अलग झारखंड राज्य निर्माण के बाद राज्य के तत्कालीन प्रथम मुख्यमंत्री बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में बीजेपी जेडीयू आजसू की संयुक्त एनडीए सरकार ने वर्ष 2002 में आरक्षण में कटौती कर ओबीसी का 27 से 14 एवं अनुसूचित जनजाति का 15 से 10 फीसदी घटाकर कर दिया और अनुसूचित जनजाति को लगभग 26 फीसदी बढ़ाकर आरक्षण लागू कर दिया गया।कैलाश यादव ने कहा कि झारखंड बनने के 26 वें वर्ष में भी ओबीसी और अनुसूचित जाति के साथ भेद भाव हो रहा है और संवैधानिक रूप से अधिकृत आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। नतीजन यह है कि राज्य में नगर निकाय/नगरपरिषद/पंचायत चुनाव एवं नौकरी पेशा में पिछड़े/अति पिछड़े एवं अनुसूचित जाति को आरक्षण कटौती का दंश झेल भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।राजद नेता कैलाश यादव ने प्रदेश में चल रहे महागठबंधन सरकार के मुखिया लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि जैसे पेसा नियमावली को स्वीकृति देकर जनजातीय समुदायों को स्वशासन का अधिकार देकर सशक्त बनाने का ऐतिहासिक कार्य किया वैसे ही ओबीसी को 27 और अनुसचित जाति को 15 फीसदी आरक्षण सीमा को बढ़ाकर कानूनी रूप देने का काम करे।विदित है देश भर में एसटी एससी ओबीसी का 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा निर्धारित था लेकिन 2014 के बाद केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद सामान्य वर्ग को अतिरिक्त 10 फीसदी आरक्षण दिया गया जबकि तमिलनाडु,आंध्रप्रदेश बिहार जैसे कई राज्यों में 50 फीसदी का दायरा बढ़ाकर आरक्षण दिया जा रहा है। कर्मवीर सिंह/26दिसंबर/25