राष्ट्रीय
27-Dec-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा के अनुसार नाभि में तेल लगाना ऐसी कई परेशानियों में लाभकारी माना गया है। सदियों से चली आ रही इस पद्धति को आयुर्वेद में सौ समस्याओं की एक सरल काट बताया गया है। मान्यता है कि नाभि शरीर का केंद्र बिंदु है और यहां सिर्फ एक-दो बूंद तेल डालने से पूरा शरीर अंदर से पोषण पाता है। आयुर्वेद में नाभि को शरीर का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र माना गया है। इसे जीवन का आधार कहा जाता है, क्योंकि यहां शरीर की लगभग 72 हजार नाड़ियां या नसें आकर मिलती हैं। यही वजह है कि नाभि को एक प्रमुख मर्म बिंदु माना गया है, जो पूरे शरीर की ऊर्जा को संतुलित रखने में अहम भूमिका निभाता है। आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार, नाभि में लगाया गया तेल शरीर के भीतर आसानी से अवशोषित होकर अलग-अलग अंगों तक पहुंचता है और उन्हें पोषण देता है। इस परंपरा को सरल शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है जैसे किसी पेड़ की जड़ों में पानी डालने से पूरा पेड़ हरा-भरा हो जाता है। उसी तरह नाभि में तेल की कुछ बूंदें डालने से शरीर का केंद्र मजबूत होता है और उसका असर पूरे शरीर पर दिखाई देता है। आयुर्वेद में नाभि को मणिपुर चक्र का स्थान माना गया है, जो पाचन शक्ति, आंतरिक ऊर्जा और पाचन तंत्र को नियंत्रित करता है। नियमित रूप से नाभि में तेल लगाने से पाचन बेहतर होता है, शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और मानसिक व शारीरिक संतुलन बना रहता है। नाभि में तेल लगाने के कई फायदे बताए जाते हैं। इससे त्वचा को पोषण मिलता है और वह स्वस्थ व चमकदार बनती है। आंखों की रोशनी बेहतर होने, बालों की सेहत सुधरने और शरीर की थकान कम होने की भी मान्यता है। इसके साथ ही यह उपाय मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद करता है। रात को सोने से पहले नाभि में घी, नारियल तेल या किसी विशेष आयुर्वेदिक तेल की कुछ बूंदें डालने से नींद की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है और बेचैनी कम होती है। यह कोई नई या आधुनिक ट्रिक नहीं, बल्कि पीढ़ियों से अपनाई जा रही आयुर्वेदिक परंपरा है। आज के भागदौड़ और तनाव भरे जीवन में यह छोटा सा उपाय कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत दिला सकता है। एक्सपर्स के अनुसार, अगर दिनभर सुस्ती बनी रहती है, बार-बार तनाव और सिरदर्द परेशान करता है, चेहरे पर समय से पहले झुर्रियां दिखने लगी हैं या फिर अपच और पेट से जुड़ी समस्याएं अक्सर घेर लेती हैं, तो इसका समाधान बेहद आसान हो सकता है। सुदामा/ईएमएस 27 दिसंबर 2025