राष्ट्रीय
27-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्नाव दुष्कर्म मामले के दोषी और पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा निलंबित करने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल कर हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है, जिसमें सेंगर की आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करते हुए उसे जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया था। जांच एजेंसी ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट के इस फैसले को कानून के विपरीत, त्रुटिपूर्ण और पीड़िता के जीवन के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। सीबीआई ने अपनी दलील में इस बात पर जोर दिया है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के मूल उद्देश्य और विधायी मंशा को पूरी तरह नजरअंदाज किया है। एजेंसी का कहना है कि एक मौजूदा विधायक होने के नाते कुलदीप सिंह सेंगर सार्वजनिक विश्वास और सत्ता के महत्वपूर्ण पद पर आसीन था, जिससे समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। ऐसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा किया गया कदाचार केवल एक व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक भरोसे का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को लोक सेवक की परिभाषा के तहत दोषी ठहराया था, जिसे हाईकोर्ट ने सजा कम करते समय पर्याप्त महत्व नहीं दिया। जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट को आगाह किया है कि कुलदीप सिंह सेंगर एक अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति है, जिसके पास धन और बाहुबल दोनों की शक्ति है। यदि उसे जेल से रिहा किया जाता है, तो पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। सीबीआई के अनुसार, दोष सिद्धि के बाद जेल ही सामान्य नियम होना चाहिए और जमानत केवल अपवाद स्वरूप ही दी जानी चाहिए, विशेषकर तब जब मामला बच्चों के यौन शोषण जैसे जघन्य अपराध से जुड़ा हो। एजेंसी ने स्पष्ट किया कि पोक्सो कानून का उद्देश्य बच्चों को केवल कागजों पर अधिकार देना नहीं, बल्कि उन्हें सत्ता का दुरुपयोग करने वाले रसूखदार लोगों से वास्तविक सुरक्षा प्रदान करना भी है। उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव मामले में सेंगर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके बाद, 23 दिसंबर 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी अपील लंबित रहने तक सजा को निलंबित करने का आदेश दिया था। हालांकि, सेंगर फिलहाल जेल में ही रहेगा क्योंकि पीड़िता के पिता की हत्या से जुड़े एक अन्य मामले में भी उसे 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। सीबीआई के अलावा, दिल्ली की दो महिला वकीलों ने भी इस आदेश के खिलाफ पहले ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अब सीबीआई की इस सक्रियता के बाद यह मामला एक बार फिर विधिक चर्चा के केंद्र में आ गया है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि क्या वह हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए सेंगर की जेल वापसी और पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाएगा। वीरेंद्र/ईएमएस/27दिसंबर2025