राष्ट्रीय
27-Dec-2025


अंतरिक्ष उड़ानों की लागत के मामले में काफी कम नई दिल्ली,(ईएमएस)। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने 24 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से अपने सबसे ताकतवर रॉकेट एलवीएम-3 (एलवीएम3) के द्वारा 6,100 किलोग्राम वजनी अमेरिकी कम्युनिकेशन सैटेलाइट ‘ब्लू बर्ड’ को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया। ‘बाहुबली’ नामक मिशन की सफलता ने फिर से वैश्विक कमर्शियल लांच बाजार में भारत की किफायती और भरोसेमंद तकनीक को प्रमुख बनाया। इसके बाद कमर्शियल लांच बाजार में इसरो और एलन मस्क की स्पेसएक्स आमने-सामने आ गई हैं। जहां स्पेसएक्स ने रीयूजेबल रॉकेट तकनीक के जरिए अंतरिक्ष उड़ानों की लागत को काफी कम किया है। फाल्कन-9 रॉकेट की एक लांच की लागत लगभग 6.7 करोड़ डॉलर (550–560 करोड़ रुपये) है। वहीं, एलवीएम-3 की लांच लागत 400–450 करोड़ रुपये के आसपास है। कुल लागत के मामले में इसरो मस्क की कंपनी से थोड़ा सस्ता दिखता है, लेकिन अंतरिक्ष उद्योग में असली तुलना प्रति किलो पेलोड लागत पर होती है। एलवीएम-3 लो अर्थ ऑर्बिट (लिओ) में 8–10 टन पेलोड ले जा सकता है, जबकि फाल्कन-9 करीब 22.8 टन तक ले जाने में सक्षम है। इससे फाल्कन-9 की प्रति किलो लागत करीब 2,700–3,000 डॉलर होती है, जबकि एलवीएम-3 की प्रति किलो लागत ज्यादा है। इस अंतर की मुख्य वजह स्पेसएक्स की रीयूजेबिलिटी है। स्पेसएक्स अपने रॉकेट बूस्टर को वापस लाकर कई बार इस्तेमाल करता है, इससे लागत घटती है। इसरो अभी पूरी तरह एक्सपेंडेबल एलवीएम-3 पर काम कर रहा है, लेकिन रीयूजेबल लांच व्हीकल (आरवीएल ) और नेक्स्ट जेनरेशन लांच व्हीकल (एनजीएलवी) सहित ‘सूर्य’ रॉकेट जैसी परियोजनाओं के जरिए भविष्य में रीयूजेबिलिटी विकसित करने की योजना है। हालांकि, स्पेसएक्स की तुलना में थोड़ी ज्यादा प्रति किलो लागत होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय ग्राहक इसरो को पसंद कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह एलवीएम-3 का 100 प्रतिशत सफलता दर और समय पर लांच की सुविधा है। कई कंपनियों के लिए स्पेसएक्स की बुकिंग पहले से भरी होने के कारण भारत एक भरोसेमंद विकल्प बन गया है। इसके अलावा, रणनीतिक कारण भी अहम हैं, क्योंकि कई देश एक ही बड़े लांच प्रदाता पर निर्भर नहीं रहना चाहते। भारत का निजी अंतरिक्ष क्षेत्र भी तेजी से विकसित हो रहा है। स्काईरूट और अग्निकुल जैसे स्टार्टअप छोटे सैटेलाइट के लिए कम लागत वाले रॉकेट तैयार कर रहे हैं। इस तरह, भारत न केवल कमर्शियल लांच बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, बल्कि भविष्य में रीयूजेबल रॉकेट तकनीक से स्पेसएक्स जैसी कंपनियों से लागत और क्षमता में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता भी रखता है। आशीष दुबे / 27 दिसंबर 2025