बीत रहा सन 2025 का साल भारत के लिए रक्षा, प्रौद्योगिकी, खेल और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उपलब्धियों भरा रहा।इस बीत रहे वर्ष में स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट लॉन्च हुए, अग्नि प्राइम का सफल परीक्षण हुआ, महिला क्रिकेट ने वर्ल्ड कप जीता, और विकसित भारत बिल्डथॉन जैसी पहल हुईं,साथ ही एआई में उभरती शक्ति के रूप में पहचान मिली, जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी जैसे सेक्टर में वृद्धि देखी गई, लेकिन यह साल कुछ राजनीतिक उथल-पुथल और भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण ऑपरेशन सिंदूर के संघर्ष का साक्षी भीरहा।सन 2025 में कई क्षेत्रों में निराशाएँ देखने को मिलीं, खासकर भारतीय फुटबॉल में प्रशासनिक संकट और खराब प्रदर्शन, भारतीय एयरलाइंस सेक्टर में अनिश्चितता, युवाओं के बीच नौकरी को लेकर चिंताएँ, और डिजिटल युग में निजता व सुरक्षा के मुद्दे, तथा कुछ चर्चित किताबों का उम्मीदों के मुताबिक न आना प्रमुख कहे जा सकते है।2025 भी हर साल की तरह राजनीतिक घटनाओं से भरा रहा, और देश भर में विवाद और बहस हुई. सबसे बड़ा वाकया तो इस लिहाज से ऑपरेशन सिंदूर रहा, जब पूरा देश एकजुट नजर आया. क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष, अगर सीजफायर पर आरोप-प्रत्यारोप को दरकिनार कर दें तो जिस तरह सभी दलों के सांसदों की अलग-अलग टीम बनाकर दुनिया में भारत का पक्ष समझाने के लिए भेजी गई, उसने अनूठी मिसाल पेश की।जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा और वोट चोरी के आरोपों के बीच चुनाव आयोग की तरफ से SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण कराए जाने को लेकर भी खासा विवाद हुआ. कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो SIR के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ, वोट चोर, गद्दी छोड़ मुहिम ही चलाने लगे हैं. 2025 में देश की न्यायपालिका भी कुछ घटनाओं और विवादों की वजह से सुर्खियों का हिस्सा बनी।जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में सरहद पार पाकिस्तान में बने कई आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूद किया गया और 125 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। 6 और 7 फरवरी की रात ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया, और बाद में पाकिस्तान के साथ बातचीत के बाद सीजफायर लागू कर दिया गया।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सीजफायर के लिए बीच बचाव का दावा रहा है, जिसे भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है। ट्रंप के दावे पर भारत में भी खूब राजनीति हुई।विपक्षी गठबंधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से सीजफायर के मामले में जवाब मांगता रहा, और चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी होती रही। विशेष सत्र तो नहीं बुलाया गया, लेकिन सत्र शुरू हुआ तो उसमें चर्चा जरूर हुई।बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की सत्ता में वापसी से भी महत्वपूर्ण रहा विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल का महज 25 सीटों पर सिमट जाना. बिहार चुनाव के नतीजों ने 2014 के लोकसभा चुनाव की याद दिला दी. हालांकि, तेजस्वी यादव की आरजेडी को इतनी सीटें जरूर मिल गईं, जिससे नेता प्रतिपक्ष का पद मिल सके।2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो गया।आम आदमी पार्टी को शिकस्त देकर भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में भी सत्ता पर काबिज हो गई, और रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री बन गईं।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया।लेकिन, भारत का मामला थोड़ा अलग रहा। ऑपरेशन सिंदूर में सीजफायर कराने के उनके दावे को खारिज किए जाने के बाद 27 अगस्त से भारत पर ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया। यह कहकर कि सजा है रूसी तेल आयात करने की, जिससे पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए पैसा मिल रहा है। ट्रंप टैरिफ के बाद विपक्ष ने मोदी-ट्रंप दोस्ती को मुद्दा बनाकर बीजेपी सरकार की विदेश नीति पर हमला किया।चाहे इंडिगो एयरलाइंस से जुड़ी अव्यवस्था हो, वायु प्रदूषण को लेकर बढ़ता गुस्सा हो, भाजपा शासित राज्यों में बढ़ता भ्रष्टाचार हो या गिरता रुपया, मोदी सरकार अपनी ही अक्षमता में फंसी दिख रही है और रोजमर्रा के शासन की चुनौतियों से निपटने में जूझ रही है।अर्थव्यवस्था की लगातार सुस्ती भी मोदी के सपने के टूटने की एक बड़ी वजह है। निजी निवेश में काफी गिरावट आई है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी कम हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में मोदी सरकार के विकास आंकड़ों की सटीकता पर सवाल उठाए हैं।भारतीय देश छोड़कर जा रहे हैं।पिछले पांच वर्षों में करीब 10 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है।पहलगाम और दिल्ली के लाल किले में हुए आतंकी हमलों ने गृह मंत्री अमित शाह के उस दावे को गलत साबित कर दिया कि सीमा पार आतंकवाद की कमर तोड़ दी गई है।पहलगाम और दिल्ली में सुरक्षा की गंभीर चूक, खासकर यह तथ्य कि विस्फोटकों से भरी एक कार राष्ट्रीय राजधानी तक आसानी से पहुंच गई, ने चरमपंथ और उग्रवाद पर सख्ती से कार्रवाई करने वाली तथाकथित मजबूत सरकार की छवि को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। (लेखक राजनीतिक चिंतक व वरिष्ठ पत्रकार है) ईएमएस / 28 दिसम्बर 25