-आधुनिक निगरानी तकनीक और शीतकालीन उपकरणों से लैस अतिरिक्त बल किए तैनात नई दिल्ली,(ईएमएस)। सेना ने पहली बार रणनीति बदलते हुए डोडा और किश्तवार में शीतकालीन अभियानों को तेज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के सबसे ठंडे हफ्तों में बचे हुए आतंकवादी समूहों को खदेड़ने के उद्देश्य से, घाटियों, मध्य पर्वतीय क्षेत्रों और ऊंचाई वाले इलाकों में एक साथ तैनाती की जा रही है। यह अभियान चिल्लई कलां के साथ मेल खाता है- जो 21 दिसंबर से 31 जनवरी तक चलने वाली सबसे भीषण सर्दी का समय है और इसका उद्देश्य बर्फ से ढके उन इलाकों में सुरक्षा उपस्थिति बढ़ाना है जिनका इस्तेमाल आतंकवादी घुसपैठ करने या छिपने के लिए करते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि हाल के दिनों में सेना की इकाइयां अधिक ऊंचाई वाली पर्वत श्रृंखलाओं पर आक्रामक गश्त कर रही हैं ताकि क्षेत्र में सक्रिय सशस्त्र समूहों को आश्रय न मिल सके। आधुनिक निगरानी तकनीक से लैस विशेष शीतकालीन उपकरणों से लैस अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया है। सेना नागरिक प्रशासन, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, विशेष अभियान दल, वन रक्षकों और ग्राम रक्षा रक्षकों के साथ अभियान का नेतृत्व कर रही है। एक सूत्र ने बताया कि जमीनी इकाइयों और खुफिया नेटवर्क के बीच तालमेल से प्रतिक्रिया समय कम हो गया है, जिससे कार्रवाई योग्य सुरागों पर त्वरित कार्रवाई संभव हो पाई है। उन्होंने बताया कि मौजूदा आकलन के मुताबिक जम्मू क्षेत्र में 30-35 सक्रिय आतंकवादी हैं, जिनमें से कई पकड़े जाने से बचने के लिए ऊंचे या मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में छिप गए हैं। ग्रामीणों से भोजन और आश्रय के लिए जबरन वसूली के प्रयास की भी खबरें मिल रही हैं। नई रणनीति के तहत सैनिक पहले जमीनी गश्त के जरिए क्षेत्रों को सुरक्षित करते हैं और फिर आतंकवादियों के प्रवेश या गतिविधि को रोकने के लिए निरंतर निगरानी रखते हैं। विशेष रूप से प्रशिक्षित शीतकालीन युद्ध उप-इकाइयों को प्रमुख क्षेत्रों में तैनात किया गया है। ये सैनिक उच्च ऊंचाई पर जीवित रहने, बर्फ में नेविगेशन, हिमस्खलन से निपटने और शीत मौसम में युद्ध करने में कुशल हैं। सेना शीतकालीन ग्रिड को समर्थन देने के लिए ड्रोन आधारित टोही, जमीनी सेंसर, निगरानी रडार, थर्मल इमेजिंग उपकरण और मानवरहित हवाई प्रणालियों सहित नवनिर्मित प्रणालियों को भी तैनात कर रही है। सिराज/ईएमएस 28दिसंबर25