नई दिल्ली,(ईएमएस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के संगठनात्मक ढांचे की प्रशंसा कर राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी थी। लेकिन अब उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विचारधारा के स्तर पर वे अब भी संघ के धुर विरोधी हैं और गांधी के हत्यारे गोडसे की विचारधारा से कांग्रेस को कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है। दरअसल विवाद की शुरुआत तब हुई जब दिग्विजय ने आरएसएस के अनुशासन और जमीनी कार्यकर्ताओं को शीर्ष पदों तक पहुंचाने की क्षमता की सराहना की थी। अपनी सफाई में उन्होंने कहा, मैंने जो कहना था, कह दिया। मैं पिछले 50 सालों से कांग्रेस में हूं और मैंने विधानसभा से लेकर संसद तक इन सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। मैं भाजपा-आरएसएस की विचारधारा का हमेशा विरोधी रहा हूं और आगे भी इस विचारधारा का विरोधी रहूंगा। जब सिंह से संघ के अनुशासन के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने तीखा हमला कर कहा कि कांग्रेस को गोडसे जैसे हत्यारों के समर्थकों से कुछ भी सीखने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह जरूर दोहराया कि किसी भी संगठन को समय-समय पर खुद को मजबूत करने की जरूरत होती है। बात दें कि दिग्विजय के इस बयान ने कांग्रेस के भीतर भी एक नई बहस छेड़ दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर अलग-अलग राय रखते हैं। तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर ने दिग्विजय सिंह का बचाव करते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए अनुशासन बेहद जरुरी है। थरूर ने कहा, हमारी पार्टी का 140 साल का लंबा इतिहास है और हम अपने अतीत से बहुत कुछ सीख सकते हैं। मैं भी चाहता हूँ कि हमारा संगठन मजबूत और अनुशासित बने। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कड़ा रुख दिखाकर कहा कि आरएसएस से सीखने जैसा कुछ नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि गोडसे के लिए जाने जाने वाला संगठन भला गांधी द्वारा स्थापित संगठन को क्या सिखा सकता है? यह विवाद तब शुरू हुआ जब दिग्विजय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 1995 की पुरानी तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में पीएम मोदी जमीन पर बैठे दिख रहे थे और उनके पास तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष एल.के. आडवाणी मौजूद थे। इस फोटो के जरिए दिग्विजय ने संकेत दिया था कि कांग्रेस को यह सीखना चाहिए कि कैसे आरएसएस और भाजपा अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का मौका देती हैं। आशीष दुबे / 28 दिसंबर 2025