अंतर्राष्ट्रीय
28-Dec-2025


तेलअवीव,(ईएमएस)। हॉर्न ऑफ अफ्रीका फिर वैश्विक भू-राजनीति के केंद्र में आ गया है। लाल सागर, गल्फ ऑफ एडन और बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य के आसपास बढ़ती अस्थिरता ने इस क्षेत्र को रणनीतिक अखाड़ा बनाया है। इसी पृष्ठभूमि में सोमालीलैंड को लेकर इज़रायल की संभावित रणनीतिक दिलचस्पी ने तुर्की, ईरान और अरब देशों की चिंता बढ़ा दी है। सोमालीलैंड 1991 से स्वयं को सोमालिया से अलग स्वतंत्र इकाई मानता है, लेकिन आज तक इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। इसके बावजूद इसकी भौगोलिक मौजदूगी बहुत अहम है। यह इलाका लाल सागर और हिंद महासागर को जोड़ने वाले बाब-अल-मंडेब के बेहद करीब है, जहां से दुनिया का लगभग 12 प्रतिशत समुद्री व्यापार गुजरता है। इसकारण वैश्विक शक्तियां यहां अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती हैं। हाल के वर्षों में लाल सागर क्षेत्र अस्थिर हुआ है। ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा जहाजों पर हमलों ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग को खतरे में डाल दिया है। इज़रायल के लिए यह मार्ग एशिया–यूरोप व्यापार और अपनी ऊर्जा व सुरक्षा जरूरतों के लिए बेहद अहम है। इसके बाद सोमालीलैंड जैसे क्षेत्र में राजनीतिक या सुरक्षा सहयोग, इजरायल को समुद्री निगरानी, इंटेलिजेंस और लॉजिस्टिक पहुंच दे सकता है। यहीं से तुर्की की असल चिंता शुरू होती है। क्योंकि तुर्की पिछले एक दशक से सोमालिया में गहराई से जुड़ा है—उसका सबसे बड़ा विदेशी सैन्य बेस मोगादिशू में है और वह खुद को मुस्लिम दुनिया का प्रभावशाली नेता मानता है। सोमालीलैंड में इज़रायल या इज़रायल-समर्थित ब्लॉक की मौजूदगी, तुर्की के प्रभाव को सीधे चुनौती देती है। यूएई पहले ही सोमालीलैंड के बेरबेरा पोर्ट में निवेश कर चुका है और लाल सागर क्षेत्र में अपनी समुद्री रणनीति मजबूत कर रहा है। अब्राहम समझौतों के बाद यूएई और इज़रायल के हित कई जगहों पर मेल खाते हैं—चाहे वह ईरान को संतुलित करना हो या समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा। ईरान इस पूरे समीकरण का तीसरा अहम पक्ष है। हूती विद्रोहियों के जरिए वह लाल सागर में दबाव बनाए हुए है। यदि इज़रायल को हॉर्न ऑफ अफ्रीका में बेहतर इंटेलिजेंस और निगरानी मिलती है, तो ईरान की रणनीतिक बढ़त को नुकसान हो सकता है। कुल मिलाकर, सोमालीलैंड सिर्फ एक अलग-थलग क्षेत्र नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाबी बन चुका है। यहां होने वाला कोई भी कूटनीतिक बदलाव—चाहे वह मान्यता हो या सैन्य-सहयोग—लाल सागर की सुरक्षा, मध्य पूर्व की शक्ति-संतुलन और वैश्विक व्यापार पर असर डालेगा। यही कारण है कि इस छोटे से इलाके पर आज इतनी बड़ी वैश्विक नजरें टिकी हुई हैं। आशीष दुबे / 28 दिसंबर 2025