राज्य
29-Dec-2025


- जीएमसी सहित पांच मेडिकल कॉलेजों में शुरू होगी अत्याधुनिक कैंसर उपचार यूनिट भोपाल (ईएमएस)। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए आने वाला साल राहत और उम्मीद लेकर आएगा। राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के पांच पुराने मेडिकल कॉलेजों में अत्याधुनिक कैंसर उपचार यूनिट शुरू होने जा रही हैं। करीब दो अरब रुपए की लागत से तैयार हो रही इन यूनिट्स में अब कैंसर की पहचान से लेकर इलाज तक की पूरी व्यवस्था एक ही छत के नीचे उपलब्ध होगी। अब मरीजों को न तो महीनों लंबा इंतजार करना पड़ेगा और न ही महंगे निजी अस्पतालों की दौड़ लगानी होगी। पेट सीटी स्कैन जैसी आधुनिक जांच सुविधा से कैंसर की सही लोकेशन और फैलाव का सटीक आकलन किया जा सकेगा, वहीं लीनियर एक्सीलरेटर और ब्रेकी थेरेपी जैसी तकनीकों से ट्यूमर पर बेहद सटीक रेडिएशन देकर प्रभावी इलाज संभव होगा। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, भोपाल में स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज की पुरानी कोबाल्ट मशीन को कंडम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसी तरह अन्य पुरानी मशीनों को कंडम किया जा रहा है। जल्द नई मशीनों से न सिर्फ इलाज की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि मरीजों पर पडऩे वाला आर्थिक बोझ भी काफी कम होगा। नई यूनिट्स को ऑन इन वन के रूप में डिजाइन किया गया है। जिसमें जांच, रेडिएशन थेरेपी और फॉलोअप की सुविधा मरीजों को मिल सके। अभी तक प्रदेश में क्वालिटी कैंसर इलाज के लिए सीमित सरकारी केंद्र थे, जिससे मरीजों को या तो दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों का रुख करना पड़ता था या निजी अस्पतालों में भारी खर्च उठाना पड़ता था। जीएमसी में तैयार हुआ रेडिएशन बंकर गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में लीनियर एक्सीलरेटर के लिए विशेष बंकर का निर्माण पूरा कर लिया गया है। यह बंकर सुरक्षा मानकों के हिसाब से तैयार किया गया है, जहां रेडिएशन को बाहर जाने से रोकने के लिए करीब दो मीटर मोटी दीवारें बनाई गई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, लीनियर एक्सीलरेटर के जरिए रेडिएशन थेरेपी के दौरान सुरक्षा सबसे बड़ा पहलू होता है और जीएमसी में इसे ध्यान में रखकर अंतरराष्ट्रीय स्तर की संरचना तैयार की गई है। यहां ब्रेकी थेरेपी और पीईटी-सीटी स्कैन यूनिट के लिए भी जगह तय कर ली गई है। महंगा इलाज अब सरकारी अस्पताल में फिलहाल निजी अस्पतालों में लीनियर एक्सीलरेटर से कैंसर की सिकाई कराने पर 20 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक का खर्च आता है। कई मरीज आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही इलाज छोडऩे को मजबूर हो जाते हैं। नई यूनिट्स शुरू होने के बाद यही इलाज सरकारी मेडिकल कॉलेजों में बेहद कम या नाममात्र शुल्क पर उपलब्ध होगा। इससे आयुष्मान भारत और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत मरीजों को सीधा फायदा मिलेगा। प्रदेश में 1.54 लाख मरीज आईसीएमआर की कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़े बताते हैं कि मप्र में करीब 1 लाख 54 हजार 567 लोग ऐसे हैं, जिन्हें तत्काल कैंसर उपचार की जरूरत है। भोपाल में ही 4,350 से ज्यादा कैंसर मरीज दर्ज हैं। हर महीने राज्य में औसतन 3,500 लोगों की मौत कैंसर के कारण हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि वास्तविक आंकड़े इससे भी ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि कई मरीज जांच तक नहीं करा पाते या निजी खर्च से डरकर इलाज टालते रहते हैं। महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर के मामले 33.9 प्रति लाख की दर से सामने आ रहे हैं और इसमें 2.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हो रही है। हालांकि सर्वाइकल कैंसर के मामलों में 2.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन ओवरी कैंसर के केस 1.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। पुरुषों में मुंह और फेफड़ों का कैंसर पुरुषों में मुंह का कैंसर सबसे तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें 3.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। जीभ, फेफड़ों और प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में भी धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है। विशेषज्ञ इसके पीछे तंबाकू सेवन, धूम्रपान, बदलती जीवनशैली और पर्यावरणीय कारणों को जिम्मेदार मानते हैं। विनोद / 29 दिसम्बर 25