राज्य
29-Dec-2025


- निवेशकों को आवंटित भूमि पर अवैध कब्जा भोपाल (ईएमएस)। मप्र सरकार ने 2025 को उद्योग एवं रोजगार वर्ष घोषित किया है और सरकार का पूरा फोकस औद्योगिक विकास और निवेश पर रहा। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में आईटी पार्क और औद्योगिक भूमि पर अवैध कब्जा एक गंभीर और व्यापक समस्या बना हुआ है, जिससे विकास योजनाएं बाधित हो रही हैं और निवेशकों की दिलचस्पी कम हो रही है। अवैध कब्जों के कारण भूमि का सही उपयोग नहीं हो पाता, जिससे बुनियादी ढांचे का विकास रुक जाता है और सार्वजनिक परियोजनाएं प्रभावित होती हैं। कुछ मामलों में, जिन जगहों पर आईटी पार्क या उद्योग स्थापित होने वालेे थे, वहां अवैध कब्जा है। इस कारण आईटी कंपनियां और उद्योग कागजों में ही कैद हो कर रह गए हैं। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में उद्योगों और आइटी पार्कों की जमीनों से पिछले दस वर्षों में भी अवैध कब्जे पूरी तरह नहीं हट पाए हैं। नतीजा यह है कि जहां फैक्ट्रियां, आइटी कंपनियां और रोजगार के अवसर पैदा होने थे, वहां आज भी कब्जे, अधूरे निर्माण और गैर-उद्देश्यीय गतिविधियां चल रही हैं। कई जगह तो हालत ये हैं कि वर्षों पहले आवंटित की गई जमीन पर न तो निर्माण शुरू हुआ और न ही कब्जा हटाया गया। परिणामस्वरूप आइटी पार्क कागजों में तो हैं, साफ्टवेयर कंपनियों की बजाय विवाद और अतिक्रमण खड़े हैं। सिर्फ आइटी पार्क ही नहीं, औद्योगिक क्षेत्रों की जमीनों पर भी हालात अलग नहीं हैं। मप्र सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग आयुक्त दिलीप कुमार का कहना है कि कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में अतिक्रमण है, कहीं बहुत पुराने अतिक्रमण हैं उन्हें हटाने के लिए जिला प्रशासन की मदद से हटाने की कार्रवाई करेंगे। सरकारी जमीन पर निजी कब्जे औद्योगिक विकास निगम द्वारा विकसित कई औद्योगिक क्षेत्रों में सरकारी जमीन पर निजी कब्जे, अवैध निर्माण और झुग्गी बस्तियां बस चुकी हैं। इन कब्जों को हटाने के लिए अभियान चलाने की घोषणाएं होती हैं, लेकिन स्थायी समाधान आज तक नहीं निकल पाया। नीमच जिले के मनासा में औद्योगिक क्षेत्र विकसित है, यहां जमीन से जुड़ा कोई विवाद नहीं है। जावद विकासखंड में मप्र औद्योगिक विकास निगम उज्जैन ने मोरवन में टैक्स टाइल्स फैक्ट्री के लिए जमीन आवंटित की है लेकिन क्षेत्रीय लोग विरोध करने लगे। हाईकोर्ट इंदौर ने स्थगन आदेश दे रखे हैं, जिस कारण निर्माण थमा है। इंदौर के सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र ए से एफ सेक्टर में 60 फीट की रोड प्रस्तावित है, लेकिन अतिक्रमण के कारण 30 फीट चौड़ी ही रह गई। एआइएमपी पूर्व अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने कई बार प्रशासन व जिला उद्योग केंद्र को पत्र लिखा, लेकिन अतिक्रमण कार्रवाई नहीं हुई। आइटी पार्क की जमीनों का अन्य उपयोग राज्य में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित कई शहरों में आइटी पार्क विकसित करने के लिए जमीनें आवंटित की गईं। उद्देश्य था युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार और प्रदेश में आइटी निवेश को बढ़ावा देना। लेकिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोटों और विभागीय समीक्षा में सामने आया कि आइटी पार्क की जमीनों का उपयोग नर्सिंग कालेज, गोदाम, निजी संस्थानों और अन्य व्यावसायिक कामों में हो रहा है। भोपाल, इंदौर के दो आइटी पार्कों की 13.57 एकड़ भूमि (3.68 प्रतिशत) पर स्थानीय निवासियों द्वारा अतिक्रमण पाया गया। शासन को विकास व्यय के रूप में 3.62 करोड़ की हानि हुई। इंदौर (सिंहासा) में 24.10 करोड़ की लागत से निर्मित 76800 वर्गफीट आइटी भवन तथा भोपाल में 4.07 करोड़ और जबलपुर में 1.10 करोड़ के व्यय से निर्मित आइटी पाकों में निर्मित ईएमसी सामान्य उपयोगिता केंद्र (खरीददारी केंद्र) खाली पड़े रहे। औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप में निवेश के लिए उद्योगपति कतार में हैं, लेकिन उन्हें देने के लिए जमीन नहीं है। विभाग की नाक के नीचे करीब 50 एकड़ बेशकीमती जमीन अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है। राहुल नगर में जहां झुग्गियों का जाल बिछ गया है, वहीं कंटेनर डिपो और कलियासोत नदी के पास की आरक्षित भूमि पर धड़ल्ले से खेती हो रही है। एमपीआईडीसी भोपाल के ईडी विशाल सिंह चौहान का कहना है कि उद्योगों के लिए आरक्षित मंडीदीप के पास राहुल नगर की बड़ी भूमि पर कब्जे की बात आई है, हालांकि बगरोदा क्षेत्र में कोई अतिक्रमण नहीं है। हम चेक करा रहे हैं। जहां भी अतिक्रमण मिलेगा कार्रवाई करेंगे। विनोद / 29 दिसम्बर 25