दमोह (ईएमएस) । हिन्दी लेखिका संघ दमोह की शीतकालीन काव्य गोष्ठी सरस्वती कन्या विद्यालय के सभागार में डॉ रेवा चौधरी के सौजन्य से सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ कुलदीप कौर रहीं। अध्यक्षता संस्था अध्यक्ष पुष्पा चिले ने एवं विशिष्ट आतिथ्य का दायित्व डॉ प्रेमलता नीलम ने निभाया। कार्यक्रम का संचालन मनोरमा रतले ने किया। मां सरस्वती के पूजनोपरांत संगीता पान्डे सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। आभार डॉ रेवा चौधरी ने व्यक्त किया।डॉ कुलदीप कौर ने अपने उद्बोधन में अटलजी के कई रोचक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि अटलजी राजनीति में दमकते हीरा थे, जिसकी चमक शताब्दियों तक दमदमाती रहेगी। प्रथम चरण में श्रद्धेय अटलजी को समर्पित रचनाओं का पाठ किया गया। पुष्पा चिले ने कहा बड़े अद्वितीय अटल अडिग हिमालय से थे,प्रखर, प्रवल थे अटल तुंग शिवालिक से थे। डॉ प्रेमलता नीलम ने पढ़ा सदा अटल अटल ही रहे, उल्टी धार कभी न बहे। डॉ संगीता पाराशर ने कहा नाम अटल, काम अटल संकल्प भी अटल रहे। राजनैतिक, सामाजिक कर्म भी रहे अटल। डॉ रेवा चौधरी ने पढ़ा अटलजी की वाणी में गंगा सी शीतलता, दृष्टि में हिमालय सा अडिग विश्वास। पद्मा तिवारी ने पढ़ा सौभाग्य हमारे देश का, जन्मे जहां अटल अनमोल, साहित्य मर्मज्ञ थे, कहते थे शब्दों को तौल। मनोरमा रतले ने पढ़ा अटल थी अटलजी की कविता,मुखरता सहज मधुर थी उनकी वाणी और दयालुता। संगीता पान्डे ने कहा महफिल में बार बार उसी पर नजर गई, हमने बचाई लाख मगर फिर उधर गयी। कुसुम खरे श्रुति ने कहा प्रति दिन सूरज उदय होता है,ले सिन्दूरी चादर, त्याग तपस्या का सुहाग केशरिया सिर पर। वसुंधरा तिवारी ने कहा ठिठुरन भरा पैगाम लाई है,शीत ऋतु जो आई है। मधुलता पाराशर ने पढ़ा न जाने कहां से उतरता है कोहरा, पहाड़ों की छत पर उतरता है कोहरा। आराधना राय ने पढ़ा जहां मुझे घड़ियां नहीं चिड़िया जगाती हैं, भोर से मंदिर की घंटियां सुनाती हैं। अर्चना राय ने कहा कि अटलजी देश के सच्चे देशभक्त थे, अकाट्य सत्य थे। ईएमएस/मोहने/ 29 दिसंबर 2025