माइक्रो सिंचाई पद्धति में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी राज्य, जल संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये म.प्र. को मिला राष्ट्रीय जल अवार्ड भोपाल (ईएमएस)। मध्यप्रदेश में गत दो वर्षों में सिंचाई क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। किसानों की तरक्की और खुशहाली हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। कृषि के अतिरिक्त पेयजल, उद्योगों, विद्युत उत्पादन आदि के लिए जल की उपलब्धता कराये जाने हेतु प्रयासरत हैं। प्रदेश में सिंचाई के रकबे में निरंतर वृद्धि हो रही है। माइक्रो सिंचाई पद्धति में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी राज्य है। जल संरक्षण एवं संवर्धन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये म.प्र. को राष्ट्रीय जल अवार्ड मिला है। यह जानकारी जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने मंगलवार को 2 वर्ष की विभागीय उपलब्धियों एवं आगामी तीन वर्ष के रोड मैप को लेकर आयोजित पत्रकारवार्ता में दी। मंत्री सिलावट ने कहा कि यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि यहां स्व. प्रधानमंत्री युगदृष्टा अटल बिहारी वाजपेई के नदी जोड़ो के सपने को साकार करने का कार्य प्रारंभ हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने केन-बेतवा बहुउद्देशीय नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का प्रदेश में शुभारंभ किया। इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर एवं तकदीर बदल जाएगी। हमारे राज्य को उक्त परियोजना से न केवल सिंचाई अपितु पेयजल एवं विद्युत उत्पादन का लाभ भी मिलेगा। प्रदेश की दूसरी महत्वपूर्ण नदी जोड़ो परियोजना है संशोधित पार्वती - कालीसिंध -चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना। इससे प्रदेश के बड़े हिस्से में सिंचाई, पेयजल, उद्योगों आदि के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा। मध्यप्रदेश में आकार ले रही तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना है, जो कि विश्व में अपने आप में एक बहुत अनूठा प्रयास है। तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना अंतर्गत वर्षा के दौरान तापी नदी के अतिरिक्त जल को नियंत्रित तरीके से भू-जल भरण के लिए उपयोग किया जाकर भू-जल स्तर में वृद्धि की जाएगी। परियोजना के क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों के मध्य 10 मई 2025 को सहमति बनी। मंत्री सिलावट ने कहा कि बांधों की सुरक्षा के लिये बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के प्रावधानों को लागू करने के लिये विशेषज्ञ समिति का गठन करने वाला मध्यप्रदेश, देश में अग्रणी राज्य है। बांधों की सुरक्षा के लिये ड्रिप परियोजना के अंतर्गत विश्व बैंक के सहयोग से आगामी 5 वर्षों में विभिन्न बांधों की मर मत के कार्य कराये जायेंगे। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पर ड्रॉप मोर क्रॉपÓ की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। सिंचाई प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में सर्वोच्च स्थान पर है। सिंहस्थ-2028 मंत्री सिलावट ने बताया कि उज्जैन शहर में प्रत्येक 12 वर्ष में क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर सिंहस्थ (कुंभ) पर्व पर मेला का आयोजन होता है। सिंहस्थ 2028 से संबंधित सभी कार्यों (कुल राशि रू. 02 हजार 396 करोड़) की स्वीकृति समय सीमा में प्राप्त कर, सिंहस्थ 2028 के पूर्व दिसंबर 2027, तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। सिंहस्थ 2028 के आयोजन हेतु क्षिप्रा नदी को निर्मल-अविरल एवं निरंतर प्रवहमान बनाकर श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप विभिन्न धार्मिक पर्वो पर अनुष्ठान हेतु पर्याप्त स्वच्छ जल उपलब्ध कराये जाने के लिये विभाग द्वारा विभिन्न कार्य कराये जा रहे हैं। इस दौरन मंत्री सिलावट ने उज्जैन जिले की कान्ह नदी पर कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना (क्षिप्रा शुद्धीकरण), उज्जैन जिले की सेवरखेडी-सिलारखेडी मध्यम सिंचाई परियोजना (नदी एवं जल निकायों का विकास), क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर 30 किलोमीटर घाट निर्माण,क्षप्रा नदी पर जल संसाधन विभाग द्वारा 09 बैराज का निर्माण (उज्जैन जिले में 01, इंदौर जिले में 01 एवं देवास जिले में 07 बैराज) एवं नगर निगम उज्जैन द्वारा कालियादेह स्टॉप डेम का मर मत कार्य। कान्ह नदी पर 11 बैराजों (उज्जैन जिले में 05 एवं इंदौर जिले में 06) का निर्माण कार्य। केन-बेतवा राष्ट्रीय परियोजना,भू-जल की स्थिति में सुधार, औद्योगीकरण, पर्यटन एवं रोजगार के अवसर में वृद्धि, पार्वती-कालीसिंध-चंबल राष्ट्रीय परियोजना, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के मध्य मेगा तापी रीचार्ज परियोजना,डैम से टी रिव्यू पैनल,अटल भू-जल योजना, जल गंगा संवर्धन अभियान के संबंध में की गई तैयारियों के साथ ही आगामी वर्षो में किए जाने वाले कार्यो की जानकारी दी। आशीष पाराशर, 30 दिसम्बर, 2025