राष्ट्रीय
31-Dec-2025


राष्ट्रीय जनता दल ने राज्यपाल को खत लिखकर जांच की मांग की पटना,(ईएमएस)। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के सहायक प्रोफेसर पद पर चयन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग कर दी है। आरजेडी का कहना है कि नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े तथ्यों को लेकर मीडिया में आई खबरों ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका स्पष्ट जवाब देना जरुरी है। आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता प्रो.नवल किशोर यादव की ओर से भेजे पत्र में कहा गया है कि अखबार में रिपोर्ट प्रकाशित हुई है कि मंत्री चौधरी का नाम सहायक व्याख्याता की नियुक्ति सूची में पहले शामिल था, लेकिन बाद में हटा दिया गया। पार्टी ने बेहद गंभीर मामला बताकर आपत्ति जाहिर की है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि प्रारंभिक परिणाम में उनका नाम शामिल होने के बाद राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू हो गई थी, क्योंकि मंत्री रहते हुए किसी शैक्षणिक पद पर चयन को लेकर नैतिकता और प्रक्रिया पर सवाल उठे थे। आरजेडी ने सवाल उठाया है कि जब बाद में नाम हटाया गया, तब प्रारंभिक परिणाम किस आधार पर जारी किया गया था। पार्टी का कहना है कि यदि चयन प्रक्रिया में किसी प्रकार की अनियमितता, लापरवाही या फर्जी प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल हुआ है,इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। साथ ही शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय सेवा आयोग की भूमिका की भी गहन जांच की मांग की गई है। आरजेडी ने राज्यपाल से अपेक्षा जाहिर की हैं कि कुलाधिपति के रूप में वे पूरे प्रकरण की निष्पक्ष समीक्षा कराएंगे, ताकि उच्च शिक्षा व्यवस्था और संवैधानिक संस्थाओं की साख बनी रहे। वहीं शिक्षा मंत्री सुनील सिंह ने कहा कि अशोक चौधरी की फाइल में कुछ कमियां पाई गई हैं, इसलिए उनकी नियुक्ति फिलहाल रुकी हुई है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि कमियां क्या हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शैक्षणिक दस्तावेजों में नाम “अशोक कुमार” और चुनावी हलफनामे में “अशोक चौधरी” होने के कारण यह अड़चन आई हो सकती है। गौरतलब है कि अशोक चौधरी 2020 में निकले विज्ञापन के तहत पॉलिटिकल साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित 274 उम्मीदवारों में शामिल थे। जून 2025 में परिणाम आने के बावजूद अब तक कॉलेज आवंटन नहीं हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने भी इस चयन पर सवाल उठाए हैं। अब सबकी निगाहें राज्यपाल स्तर पर होने वाली संभावित जांच और उसके नतीजों पर टिकी हैं। आशीष दुबे / 31 दिसंबर 2025