लेख
10-Jul-2024
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राजनीति में राजनेताओं के लिए पाखंडी बाबा मजबूरी बन चुके हैं। राजनेताओं के नाम से भीड़ इकट्ठी नहीं होती है। राजनेता जो कहते हैं, उस पर आम जनता को विश्वास नहीं होता है। जिसके कारण पिछले तीन-चार दशकों में भारतीय जन समुदाय को नेताओं पर विश्वास नहीं रहा। फिल्म स्टार, पाखंडी बाबाओं, खिलाड़ी और करतब दिखाने वालों के पास भीड़ बड़ी संख्या में एकत्रित होती है। राम मंदिर आंदोलन के बाद हिंदुओं की बड़ी भीड़ साधु-संतों के आसपास एकत्रित होने लगी। जिसके कारण राजनेताओं ने भी इन फर्जी बाबाओं का सहारा लेना शुरू कर दिया। जब बड़े-बड़े राजनेता ऐसे पाखंडी बाबाओं के दरबार में जाकर हाजिरी लगाते हैं, उनके पैर पड़ते हैं। पाखंडी बाबाओं के सामने नतमस्तक हो जाते हैं। आम जनता के बीच में यही संदेश जाता है। बाबाजी में कुछ ना कुछ तो ऐसा है, तभी तो समाज और राजनीति के इतने बड़े-बड़े लोग उनके दर्शन करने पहुंच रहे हैं। 1990 के बाद से भारत की राजनीति में पाखंडी बाबाओं का रसूख बढ़ता चला गया। उसके बाद ही पाखंडी बाबाओं का भाग्य उदय हुआ। उनके बड़े-बड़े आश्रम बनने लगे। करोड़ों रुपए के उनके आश्रम तैयार होने लगे। बाबाओं के कहने पर उनके भक्त वोट भी देने लगे। जिसके कारण भारत की संपूर्ण राजनीति धर्म और पाखंडी बाबाओं के आस-पास से संचालित हो रही है। हाल ही में 123 लोग हाथरस में बाबा नारायण हरि साकार उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मौत के शिकार हो गए। उत्तर प्रदेश की सरकार और वहां की पुलिस ने बाबा का नाम एफ़आईआर में नहीं आने दिया। उनके आश्रम के आयोजन के खिलाफ हरदोई में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। 2 दिन के अंदर जांच हो गईं, 900 पन्ने की रिपोर्ट आ गई। जिसमें बाबा को बरी कर दिया गया। 123 लोगों की मौत के बाद से बाबा फरार है। सरकार ने एसडीएम, थाना इंचार्ज और अन्य लोगों को निलंबित कर बाबा को बचाने की पुरजोर कोशिश की है। उत्तर प्रदेश की सरकार बाबा को क्यों बचना चाहती है। इसका सीधा-साधा जवाब है। बाबा के लाखों श्रद्धालु, अंधभक्त बाबा के एक इशारे पर राजनीतिक दल और राजनेता के पक्ष में मतदान करने समर्पित होते हैं। यह बात नेताजी जानते हैं। बाबा भी जानते हैं। राजनीति मैं अब सच का स्थान नहीं रहा। आम आदमी सपने में जीना चाहता है। फर्जी बाबा, बैरागी ईश्वर आराध्य के रूप में भक्तों को भरोसा दिलाते हैं। ईश्वर के आशीर्वाद से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। जब इन बाबाओं के पास बड़े-बड़े राजनेता, बड़े-बड़े अधिकारी और पुलिस वाले नतमस्तक होते हैं। ऐसी स्थिति में भक्तों का विश्वास इन बाबाओं के प्रति और भी बढ़ जाता है। फर्जी बाबा अपने आश्रम में बड़े-बड़े नेताओं और अधिकारियों के फोटो लगाते हैं। वहीं राजनेता फर्जी बाबाओं के पास पहुंचकर बाबा के भक्तों को विश्वास दिलाता है। वह भी उनके गुरु भाई हैं। उनके बीच में ईश्वरीय रिश्ता बना हुआ है। जिसका लाभ नेताओं को राजनीति में मिलता है। इस स्थिति में किसकी हिम्मत है, जो किसी भी राजनेता के खिलाफ एक शब्द भी बोल सके। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सके। उत्तर प्रदेश सरकार पहले दिन से ही बाबा के प्रति उदार है। अपराध-न्याय प्रक्रिया में एक नया शब्द आयोजक जुड़ गया है। इसलिए आयोजकों के खिलाफ मुकदमा और कार्रवाई की जा रही है। भोले बाबा तो भक्तों की नजर में ईश्वर के अंश हैं। भगदड में जिनकी मृत्यु हुई है, भगवान ने उनकी उतनी ही उम्र लिखी थी। भगवान की लिखी हुई उम्र को भोले बाबा भी घटा और बढ़ा नहीं सकते हैं। जो मरे हैं, उनका मरना तय था। सत्संग में जो मरे हैं। निश्चित रूप से स्वर्ग में स्थान मिलेगा। बाबा के भक्तों का यह विश्वास आज भी है। राजनीति में सत्ता पक्ष हो, या विपक्ष हो। भक्तों के इस विश्वास को तोड़ना नहीं चाहते हैं। ना ही बाबा की नाराजी लेना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में बाबाओं का जो पाखंड चल रहा है। वह आगे भी चलता रहेगा। भोले बाबा हैंड पंप के पानी से लोगों की बीमारी को ठीक करेंगे। उनके चरण रज को माथे पर लगाने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाएंगे। परिवार में सुख-शांति और सहमति आ जाएगी। भक्तों की यह शक्ति पाखंडी बाबाओं को देवता बनाकर उनके भोग-विलास के लिए सारे भक्त जिम्मेदार हैं। जो इन बाबाओ को विशिष्ट बनाते हैं। वहीं राजनेता अपने चुनावी लाभ और राजनीति को चमकाने के लिए इन बाबाओ के सामने नतमस्तक होते हैं, इसके सिवा उनके पास कोई चारा भी नहीं है। हाथरस की घटना से यही साबित होता है। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के पाप का घड़ा अभी भरा नहीं है। सो वह जेल जाने से बच गए हैं। जेल जाने के बाद भी बाबा राम रहीम की तरह सरकार की कृपा उनके ऊपर बनी रहेगी। यही बाबाओं का पुण्य है। इसे सभी को समझना होगा। कलयुग का यही सत्य है। तुलसीदास और वाल्मीकि रामायण में कलयुग का जो वर्णन है। उसके अनुसार पाखंडी बाबा अपने पुण्य का उपभोग कर रहे हैं। इसमें बाबा योगी आदित्यनाथ भी क्या कर सकते हैं। ईएमएस / 10 जुलाई 24