--- चुनावी बॉन्ड से जबरन वसूली -- सीबीआई-ईडी के बेजा उपयोग सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स सहित अन्य ऐसी ही एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल या दुरूपयोग के आरोप केन्द्र सरकार पर लगते रहे है। पिछले कुछ दशकों में और खासकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों के कुछ पहले ये एजेंसियां सक्रिय होकर अपने टारगेट को जद में लेते रहीं हैं। इन एजेंसियों का निशाना अकसर विपक्ष के नेता और ऐसे ही कतिपय कारपोरेट कंपनियों के धनकुबेर रहे हैं। इस मामले में कई बार गैरभाजपाई राजनीति पार्टियों ने आवाज भी उठाई लेकिन ये आवाज दबकर रह गई। जब भी सीबीआई, ईडी या ऐसी ही एजेंसियों के दुरूपयोग की बात सामने आई तो इसे सियासी आरोप कहकर खारिज कर दिया गया। लेकिन इलेक्टोरेल बाॅड के मामले और इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित अन्य खिलाफ शिकायत दर्ज होने से अब सीबीआई-ईडी आदि पर लगने वाले आरोप कुछ हद तक सच्चे लगने लगे हैं। बेंगलुरु में चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए नामित मैजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रवर्तन निदेशालय के खिलाफ जबरन वसूली और आपराधिक साजिश के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि, इलेक्टोरल बाॅन्ड वसूली मामले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारण को राहत मिल गई है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ मामले में जांच पर 22 अक्टूबर तक रोक लगा दी है। कर्नाटक बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष नलीन कुमार कटील ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इलेक्टोरल बॉन्ड वसूली मामले में नलीन कुमार कटील सह-आरोपी हैं। इसी मामले में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को मुख्य आरोपी बनाया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने चुनावी बांड की आड़ में कुछ कंपनियों से जबरन वसूली की थी। बेंगलुरू की एक विशेष लोक अदालत ने चुनावी बाॅन्ड के जरिए उगाही की शिकायत पर सुनवाई करते हुए वित्त मंत्री सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। जनाधिकार संघर्ष परिषद के सह-अध्यक्ष आदर्श अय्यर की याचिका पर सुनवाई के बाद ये एफआईआर दर्ज की गई। इससे पहले मार्च में स्थानीय पुलिस को शिकायत दी थी जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इस मामले में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजेंद्र, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नलीन कुमार कतील और पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की। उसने कहा कि चुनावी बॉन्ड की आड़ में पूरा जबरन वसूली का धंधा अलग-अलग स्तरों पर बीजेपी के अधिकारियों के साथ मिलकर चलाया गया। कोर्ट को दी गई शिकायत में कहा गया है कि निर्मला सीतारमण ने ईडी के जरिए जेपी नड्डा और कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष नलीन कतील के लाभ के लिए हजारों करोड़ रुपये की उगाही करने में मदद की। निर्मला सीतारमण ने विभिन्न कॉरपोरेट्स, उनके सीईओ, एमडी आदि के यहां छापे मारने, जब्ती करने और गिरफ्तारियां करने के लिए ईडी की सेवाएं लीं। ईडी की छापेमारी के डर से कई कॉरपोरेट कंपनियों, उनके सीईओ, एमडी आदि के यहां छापेमारी, जब्ती और गिरफ्तारी का डर दिखाकर कई करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिए मजबूर किया गया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि आरोपियों और संवैधानिक पदों पर बैठे कई अन्य लोगों, एमएनसी और टीएनसी कॉर्पोरेट कंपनियों के सीईओ और एमडी के साथ मिलकर चुनावी बांड की आड़ में जबरन वसूली की। शिकायत में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम वसूलने का आरोप लगाया गया है। शिकायत में एल्युमिनियम और कॉपर की दिग्गज कंपनी मेसर्स स्टरलाइट एंड मेसर्स वेदांता कंपनी का उदाहरण दिया गया है, जिन्होंने अप्रैल 2019, अगस्त 2022 और नवंबर 2023 के बीच 230.15 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए दिए। वहीं मेसर्स ऑरोबिंदो फार्मा ग्रुप ऑफ कंपनीज ने 5 जनवरी 2023, 2 जुलाई 2022, 15 नवंबर 2022 और 8 नवंबर 2023 के बीच 49.5 करोड़ रुपये दिए। ये शिकायत सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत दर्ज कराई गई है। जुर्माने और जुर्माने रहित सात साल से कम की कैद की सजा वाले अपराध के लिए अतिरिक्त चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, बेंगलुरु का कोर्ट निर्धारित है। इन अपराधों के लिए आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली), 120बी (आपराधिक साजिश) के साथ आईपीसी की धारा 34 (एक मकसद के लिए कई लोगों की एकसाथ मिलकर की गई कार्रवाई) के तहत शिकायत दर्ज की गई है। फरवरी में सर्वोच्च अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह संविधान के तहत सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक और स्पष्ट रूप से मनमानी’ करार देते हुए 15 फरवरी को एसबीआई को निर्देश दिया था कि वह 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए बॉण्ड का पूरा विवरण निर्वाचन आयोग को सौंपे। न्यायालय ने आयोग को संबंधित विवरण 13 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था। इस मामले में वित्त मंत्री सीतारमण को मुख्य आरोपी बनाया गया है। वहीं ईडी के अधिकारियों को दूसरे आरोपी के रूप में नामित किया गया है, इसके अलावा तीसरे आरोपी केंद्रीय कार्यालय के पदाधिकारी हैं। एफआईआर में चैथे नंबर पर कर्नाटक बीजेपी के पूर्व सांसद नलिन कुमार कतील का नाम है। बीजेपी अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र भी मामले में पांचवें आरोपी हैं। छठे आरोपी के तौर पर प्रदेश बीजेपी पदाधिकारियों का नाम हैं। कुल मिलाकर, मामला अब न्यायालय में है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भले ही दर्ज एफआईआर पर आगे की जांच के लिए रोक लगा दी हो लेकिन अब सियासत तेज हो गई है। मामला सीधे वित्त मंत्री से जुड़ा है और आरोपों की जद में सीबीआई-ईडी भी है लिहाजा विपक्षी दलों को केन्द्र सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। विपक्षी पार्टियों के आक्रमण की तलवार की धार जो कुछ कुंद हो गई थी वो इस मामले से धारदार तो हो ही जाएगी। ईएमएस/ 02 अक्टूबर 24