ज़रा हटके
19-Mar-2025
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अंकारा (ईएमएस)। वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराइयों में 5000 साल पुरानी नाव के अवशेष मिले हैं। यह अवशेष तुर्की के माउंट अरारत क्षेत्र में मिले, जिसे बाइबल में वर्णित नूह की आर्क से जोड़ा जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों में जलप्रलय और नूह की नाव का जिक्र मिलता है, जिसमें उन्होंने कई जीवों को विनाश से बचाने के लिए सुरक्षित रखा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माउंट अरारत के दक्षिण में करीब 30 किलोमीटर दूर वैज्ञानिकों को समुद्र के अंदर नाव के आकार का एक बड़ा टीला मिला है। इसे डुरुपिनार फॉर्मेशन कहा जाता है। यह टीला असल में एक लकड़ी की नाव का जीवाश्म अवशेष हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह संरचना 538 फीट लंबी है और इसमें लोहा, मिट्टी और समुद्री अवशेषों के प्रमाण मिले हैं। शोधकर्ताओं ने इस क्षेत्र से मिट्टी के नमूने लेकर इस्तांबुल टेक्निकल यूनिवर्सिटी में परीक्षण कराया, जिससे पुष्टि हुई कि यह 3500 से 5000 साल पुराना है। बाइबल, इस्लामिक ग्रंथों और यहूदी मान्यताओं में नूह की कहानी का जिक्र मिलता है, जिसमें बताया गया है कि ईश्वर ने नूह को जलप्रलय की चेतावनी दी थी। नूह ने एक विशाल नाव का निर्माण किया, जिसे आर्क कहा जाता है, और उसमें विभिन्न जीवों को रखा ताकि वे जलप्रलय से बच सकें। शोधकर्ता इस बात की पुष्टि करने में जुटे हैं कि यह संरचना वास्तव में नूह की आर्क ही है या कोई अन्य प्राचीन जलयान। अगर यह खोज नूह की कहानी से जुड़ती है, तो यह मानव इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक साबित हो सकती है। हालांकि, अभी और गहन शोध की जरूरत है ताकि वैज्ञानिक रूप से इस नाव की वास्तविकता को प्रमाणित किया जा सके। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज उस ऐतिहासिक घटना से जुड़ी हो सकती है। इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक फारुक काया ने बताया कि इस क्षेत्र में प्राचीन समय में इंसानों का बसेरा था और यह क्षेत्र कभी पूरी तरह पानी से घिरा हुआ था। यहां पाए गए अवशेषों में समुद्री जीवों के अंश भी मिले हैं, जो इस संभावना को और मजबूत करते हैं कि यह इलाका किसी बड़े जलप्रलय का गवाह रहा होगा। सुदामा/ईएमएस 19 मार्च 2025