लेख
21-Mar-2025
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आखिर कब तक नदियों में डूबते रहेंगे लोग यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है जून 2014 में बहुत बड़ा हादसा हुआ था जब हैदराबाद के कालेज के चौबीस छात्र डूब गए थे लेकिन यह हादसे रुकने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं 20 मार्च को एक बार फिर कुल्लू के लारजी में हादसा हो गया पिन पार्वती नदी में दो छात्र डूब गए अभी तक उनकी लाशें नहीं मिल पाई हैं सर्च ऑपरेशन जारी है lप्रतिवर्ष हिमाचल में पर्यटकों व लोगों और छात्रों के डूबने के हादसे होते रहते हैं।परन्तु सबक न सीखना लोगों व दूसरे राज्यों से हिमाचल घूमने आए पर्यटकों की आदत बनता जा रहा है। ताज़ा घटनाक्रम थलोट में हुआ जहाँ आईटीआई के दो छात्र दरिया में डूब गए l सेकड़ों हादसे हो चुके हैं प्रशासन को इन हादसों पर संज्ञान लेना चाहिए lबीते 8 जून 2019 को हिमाचल में डूबने की तीन घटनाएं घटित हुई थी ।एक दिन में खडडों में नहाने उतरे तीन लोगों की दर्दनाक मौतों से जनमानस खौफजदा है ।चंबा के भटियात में कलम खडड में नहाने उतरे सात साल के बच्चे की मौत गई।यह दूसरी कक्षा का छात्र था।नादौन में भी कुनाह खडड में नहाने उतरा एक 22 साल का युवक डूब गया था । तीसरी घटना पर्यटक स्थल बरोट-मुल्थान में घटित हुई थी जहां उहल नदी में नहाते समय हरियाणा के पर्यटक की डूबने से मौत हो गई थी ।वह 250 मीटर दूर तक पानी के बहाव में बह गया था ।पुलिस ने शव को बरामद कर लिया था ।पर्यटक भी अपनी मनमानी से बाज नहीं आते है।करीब 11 साल पहले 2014 में मण्डी में हुए दर्दनाक हादसे को आज भी लोग नहीं भूले है जून 2014 में हैदराबाद के एक कालेज के छात्र-छात्राएं जो हिमाचल भ्रमण पर आए थे थलौट में दरिया के किनारे नहाने उतर गए थे जब लारजी प्रोजैक्ट से पानी छोडा़ था उसमें 24 छात्रों की मौत हो गई थी लगभग एक महिना सर्च आपरेशन चलाया गया और तब जाकर उनकी लाशों का निकाला गया था जिसमें करोड़ों रुपया खर्च आया था।गनीमत रही कि दूसरी बस के छात्र नहाने नहीं उतरे तो कम से कम 50 छात्र मारे जातें। मनाही के बावजूद भी खडडों में नहाने का जोखिम उठा रहे हैं और बेमौत मारे जा रहे है ।पिछले दस सालों में हजारों पर्यटक डूब कर मर चुके हैं।लाशें तक बरामद नहीं हो रही है फिर थी जानबूझकर मौत को आमंत्रण देते है। कांगडा में भी नदी किनारे दो भाई बहन कपड़े धोने गए थे कि भाई का पांव फिसला और वह नदी में डूब गया उसको बचानें के लिए बहन पानी में कूद गई और दोनों बेमौत मारे गए। देश की नदियों में नौेनिहालों के डूबने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आखिर लोग जान जोखिम में डालने से क्यों नहीं मान रहे है। देश की नदियों में नौेनिहालों के डूबने के मामले बढ़ते ही जा रहे है।प्रशासन को इन हादसों पर संज्ञान लेना चाहिए।अगर प्रशासन सक्रिय हो जाए तो इन हादसों को रोका जा सकता है।मगर प्रशासन की नींद तो हादसों के बाद ही टूटती है जब लाशों ढेर लग जाते है।अभी 15 दिन पहले ही मण्डी में भी खडड में छलांग लगाने से एक छात्रा की मौत की स्हायी सूखी भी नहीं थी कि इन घटनाओं ने नई इवारत लिख दी है।प्रशासन को चाहिए कि पर्यटको पर शिकंजा कसा जाए जो हादसों को अंजाम दे रहे है।प्रशासन को चाहिए की नदियों के किनारे सुरक्षा बढाई जाए तथा मनमानी करने वालों पर कारवाई की जाए। देश में बढते हादसों को प्रशासन की लापरवाही की संज्ञा दी जाए तो कोई आतश्योक्ति नहीं होगी क्योकि देश के राज्यों मे हर रोज कहीं न कही ऐसे हादसे हो रहे है और प्रशसान हाथ पर हाथ धरे बैठा है ।हर वर्ष पर्यटक नदियों में बहकर मारे जा रहे है मगर इन से पर्यटकों ने कोई सीख नही ली और मौत के मुह में समाते जा रहे है। हालाकि प्रशासन ने नदियों के किनारे न जाने के चुतावनी बोर्ड लगाए है मगर लोग इनका उल्लघन कर रहे है।समझ नहीं आता कि लोग इतने लापरवाह कैसे हो जाते हैं कि देश में बडे से बडे हादसे हो चुके है मगर लोग घोर लापरवाहीयां करने से बाज नहीं आते हैं। अगर लोग जरा सी सावधानी बरतें तो इन हादसों से बचा जा सकता है।ऐसे हादसे समाज के लिए घातक हैं। दोषी लोगों को दंडित करे। अगर लोग लापरवाही बरतेगें तों ऐसे हृदयविदारक हादसे होते रहेगें तथा लोग नदियों डुबकर बंेमौत मरते रहेगें। प्र्र्र्रशासन को इन बढते हादसों को देखते हुए सर्तकता बरतनी चाहिए तथा नदियों के किनारों पर सुरक्षा कर्मीयों की तैनाती करनी चाहिए ताकि इन हादसों को रोका जा सके। केन्द्र सरकार को चाहिए कि नदियों के किनारे रैलिग लगाई जाए ऐसे स्थानांे पर चैकीदारों की निगरानी रखी जाए व पुलिस का पहरा लगाया जाए तथा छोटे बच्चो व लागों को नदियों मे नहाने से रोका जाए ताकि फिर कोई हादसे न हो सके।बक्त अभी संभलने का है अगर अब भी लोगों व पर्यटकों ने सबक नहीं सीखा तो आने वाले दिनों में लोग व बच्चे नदियों में बहते समाते रहेगें।फिर पछतानें के सिवाए कुछ नहीं होगा।अगर प्रशासन प्र्यटको ंव लोगों पर लगाम कसे तो इन हादसों पर रोक लग सकती है।अगर अब भी प्रशासन ने सबक नही सीखा तो हर रोज लोग ,बच्चे व पर्यटक और छात्र नदियों में डूबते रहेगें। ईएमएस / 21 मार्च 25