लेख
21-Mar-2025
...


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरों में उनका भव्य स्वागत होता है। 2014 के बाद से यह क्रम शुरू हुआ था। बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग वहां पर बुलाये जाते थे। प्रधानमंत्री के स्वागत में तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते थे। भारत के मीडिया में इस तरह की छवि बनाई जाती थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश में बड़े लोकप्रिय हैं। बड़े पैमाने पर विदेशों में लोग उनका स्वागत कर रहे हैं। 2014 के बाद से विदेशें में जो छबि बनाई जा रही थी। भारतीयों के बीच यह छवि बना दी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सारी दुनिया में सबसे ज्यादा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय मूल के लोगों का समर्थन वहां की सत्ता को मिले। इसका सुनयोजित प्रयास भी किया था। 2024 में अमेरिका में हाउडी मोदी का कार्यक्रम इसी योजना का अंग था। ट्रम्प उस समय मोदी से बड़े प्रभावित हुए थे। मोदी के प्रचार करने के बाद भी वह चुनाव ट्रम्प हार गए थे। हाल ही में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री के विदेशी दोरों पर भारतीय दूतावासों द्वारा किए गए खर्च की जानकारी मांगी गई थी। सरकार ने लिखित जवाब में जानकारी दी है। पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री के 38 विदेशी दौरे हुए हैं। इनमें 258 करोड रुपए खर्च किए गए हैं। जून 2023 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे। उस समय 22.89 करोड़ रुपए भारत सरकार ने अमेरिकी दूतावास में खर्च किये है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह सबसे महंगा दौरा था। जिसमें अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने लगभग 23 करोड रुपए खर्च हुए। 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोलैंड, यूक्रेन, रूस, इटली, ब्राज़ील, गुयाना की यात्रा पर गए थे। पिछले तीन वर्षों में भारतीय दूतावासों ने 258 करोड रुपए खर्च करके एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यह जानकारी केवल 3 वर्ष की है। 2014 के बाद से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशों में जो दौरे हो रहे हैं। उसके बारे में हमेशा यह कहा जाता रहा है, स्वागत सत्कार के लिए दूतावासों के जरिए भारतीय मूल के लोगों को एक जगह पर लाया जाता था। वहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत कराया जाता था। मोदी-मोदी के नारे लगवाए जाते थे। प्रधानमंत्री की विदेशों में लोकप्रियता से जोड़कर इसे भारत में प्रचारित किया जाता था। जिस तरह से अब खबरें निकलकर सामने आ रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरे में भारतीय दूतावास द्वारा भारतीय मूल के लोगों को एक जगह पर एकत्रित किया जाता था। उनके कार्यक्रम कराए जाते थे। इसका खर्चा भारतीय दूतावास द्वारा किया जाता था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में पिछले तीन वर्ष की जानकारी मांगते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत सत्कार लोकप्रियता भारतीय दूतावासों की भूमिका इत्यादि को सामने लाकर सरकार को घेरने का काम किया है। आने वाले समय में यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि भारत के विश्व गुरु के रूप में बनाई गई है। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से भी ज्यादा लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया गया है। यह भी स्थापित करने की समय-समय पर कोशिश की गई। किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का विदेश में उस तरह का स्वागत सत्कार नहीं हुआ, जिस तरह का स्वागत सत्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हुआ है। जो जानकारी राज्यसभा के माध्यम से निकलकर सामने आई है। आगे चलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। बहरहाल यही कहा जा सकता है, सच कभी छुपता नहीं है। कितना भी छुपाने की कोशिश की जाए समय आने पर सच सामने आ ही जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशी लोकप्रियता को लेकर जो सच अभी तक छुपा हुआ था, वह सच अब सामने आना शुरू हो गया है। ईएमएस / 21 मार्च 25