मुंबई, (ईएमएस)। आख़िरकार महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वीकार किया है कि वह मुंबई से सटे बदलापुर के एक नामचीन स्कूल में यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे के कथित मुठभेड़ मामले में पुलिस के खिलाफ मामला दर्ज कर रही है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के एक अधिकारी को शिकायतकर्ता बनाकर शनिवार तक मामला दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी कर लेगी। सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा, जनता का न्यायपालिका और पुलिस पर विश्वास है, इसे टूटने न दें। हम उम्मीद करते हैं कि अक्षय शिंदे के मामले में क्या हुआ, इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हाई कोर्ट ने बदलापुर एन्काउंटर मामले में अवमानना कार्यवाही के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। एक समय ऐसा लग रहा था कि अवमानना आदेश जारी हो जाएगा, लेकिन राज्य सरकार ने अंततः बदलापुर मुठभेड़ मामले में मुकदमा दायर करने के लिए अपनी तत्परता दिखाई। सरकारी अभियोजकों ने उच्च न्यायालय को बताया कि यद्यपि राज्य सीआईडी से सभी प्रासंगिक दस्तावेज प्राप्त हो चुके हैं, लेकिन मामला दर्ज करने के लिए अक्षय के माता-पिता की लिखित शिकायत आवश्यक है। इसी के तहत अक्षय की मां ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और उनके बिना ही प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। तदनुसार, उच्च न्यायालय को कहा गया कि अब इस मामले में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के एक अधिकारी को शिकायतकर्ता बनाकर मामला दर्ज किया जाए। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की पीठ ने कहा कि 7 अप्रैल को सभी जांच दस्तावेज एसआईटी को सौंपने के आदेश का तीन सप्ताह बाद भी पालन नहीं किया गया है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इन आदेशों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि दस्तावेज इसलिए उपलब्ध नहीं कराये गये क्योंकि उन्हें वहां सुनवाई की तारीख नहीं मिल सकी। इसपर हाई कोर्ट ने कहा, जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई निर्देश जारी नहीं करता, तब तक आप हमारे आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं और यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह अदालत की अवमानना है और संबंधित पुलिस अधिकारी अवमानना कार्रवाई के लिए उत्तरदायी हैं। आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष चल रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने दिशा निर्देश जारी किए हैं कि यदि किसी अभियुक्त की हिरासत में मृत्यु हो जाए तो क्या किया जाए। अक्षय शिंदे के एनकाउंटर के बाद इन्हीं दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की गई है। इसलिए हाई कोर्ट ने इसके लिए अलग से मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। मूलतः इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। अदालत की रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि मुठभेड़ फर्जी थी, यह आरोप सत्य है। संजय/संतोष झा- ०१ मई/२०२५/ईएमएस