ज़रा हटके
12-May-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। मोटापा कम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं, जैसे लिराग्लूटाइड और सेमाग्लूटाइड, शराब की लत छुड़ाने में भी मददगार साबित हो सकती हैं। यह दावा किया है एक ताजा अध्ययन में। आमतौर पर ये दवाएं वजन घटाने के लिए दी जाती हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनका असर मस्तिष्क के उस हिस्से पर भी होता है जहां शराब की तलब पैदा होती है। इससे व्यक्ति की शराब पीने की इच्छा स्वतः ही कम हो जाती है। शराब की लत यानी अल्कोहल यूज डिसऑर्डर एक गंभीर वैश्विक समस्या है, जिससे हर साल करीब 26 लाख लोगों की जान चली जाती है। इसका इलाज आमतौर पर काउंसलिंग, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और दवाओं के जरिए किया जाता है, लेकिन इन तरीकों से लंबे समय तक सफलता नहीं मिलती। अधिकतर मरीज पहले साल में ही दोबारा शराब पीना शुरू कर देते हैं। इसी चुनौती के बीच वैज्ञानिकों ने देखा कि मोटापा घटाने वाली दवाएं न सिर्फ वजन कम करती हैं, बल्कि शराब पीने की इच्छा को भी नियंत्रित करती हैं। ताजा शोध में बताया गया है कि जिन लोगों को चार महीने तक जीएलपी-1 एनालॉग्स दी गईं, उनकी शराब की खपत में औसतन 68 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई। अध्ययन में शामिल मरीजों की औसतन शराब खपत 11.3 यूनिट प्रति सप्ताह से घटकर 4.3 यूनिट रह गई। वहीं नियमित शराब पीने वालों में यह खपत 23.2 यूनिट से गिरकर 7.8 यूनिट तक पहुंच गई। यह प्रभाव यूरोप में स्वीकृत नालमेफीन नामक दवा जितना ही प्रभावी माना जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इन दवाओं का असर मस्तिष्क के उन हिस्सों पर होता है, जिन्हें व्यक्ति अपनी इच्छा से नियंत्रित नहीं कर सकता। इस वजह से शराब की तलब बिना विशेष प्रयास के खुद-ब-खुद कम हो जाती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिशा में और गहन शोध की जरूरत है ताकि इन दवाओं को शराब की लत के इलाज में सुरक्षित और प्रभावशाली रूप से इस्तेमाल किया जा सके। यह खोज भविष्य में नशा मुक्ति उपचार के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। ताजा अध्ययन से शराब की लत से जूझ रहे लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण सामने आई है। सुदामा/ईएमएस 12 मई 2025