ज़रा हटके
14-May-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। हैल्थ एक्सपटर्स के अनुसार, गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी पार्किंसन्स रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और मस्तिष्क में डोपामिन नामक रसायन की कमी के कारण होता है, जो शरीर की गतिविधियों और गति को नियंत्रित करता है। जब मस्तिष्क की डोपामिन उत्पादक कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, तब शरीर में कंपन, धीमी गति और संतुलन की समस्या जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। दुनियाभर में करीब 11.7 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और यह समस्या मुख्य रूप से 60 साल से ऊपर की उम्र में देखने को मिलती है, हालांकि कुछ मामलों में यह कम उम्र में भी शुरू हो सकती है। पार्किंसन्स के प्रमुख लक्षणों में हाथ-पैरों में आराम की स्थिति में कंपन होना, चलने या बोलने की गति का कम होना, मांसपेशियों में अकड़न और संतुलन की कमी शामिल है। इसके अलावा चेहरा भावहीन लगने लगता है, आवाज धीमी हो जाती है, नींद की समस्या, अवसाद और कब्ज़ जैसी परेशानियां भी उभर सकती हैं। इसका कोई स्थायी इलाज तो अभी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इलाज और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अगर किसी को लगातार हाथ कांपने, धीरे-धीरे चलने या चेहरा सपाट लगने जैसी समस्या हो, तो उसे नजरअंदाज करने के बजाय तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से ली जाने वाली दवाएं, जैसे लेवाडोपा, लक्षणों में काफी राहत देती हैं। इसके साथ ही नियमित व्यायाम, योग, संतुलित आहार और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। कुछ गंभीर मामलों में डीपब्रेन स्टीमुलेशन (डीबीएस) जैसी सर्जिकल प्रक्रिया से भी राहत मिल सकती है। यह रोग भयावह जरूर है, लेकिन समय पर पहचान और सही देखभाल से जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति हाथ-पैरों के अनियंत्रित हिलने की समस्या से जूझ रहा है, तो यह सिर्फ थकान या कमजोरी का संकेत नहीं, बल्कि एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी पार्किंसन्स हो सकती है। सुदामा/ईएमएस 14 मई 2025