मप्र की भाजपा सरकार में सनकी मंत्रियों की संख्या लगातार बढ रही है लेकिन इनका इलाज कोई नहीं कर पा रहा है। डॉ मोहन यादव सरकार के तमाम मंत्री अपनी ऊटपटांग हरकतों और बयानों से प्रदेश को शर्मशार कर चुके हैं। लेकिन हर बार इन मंत्रियों की हरकत पर पर्दा डाल दिया जाता है। हाल ही में मप्र के जनजातीय मंत्री कुंवर विजय शाह ने आपरेशन सिंदूर की नायिका कर्नल सोफिया कुरैशी को पाकिस्तानी आतंकवादियों की बहन बता दिया और सार्वजनिक मंच से सोफिया को लेकर जो कुछ कहा वो शर्मसार करने वाला है। लेकिन शाह को केवल भाजपा केज्ञसंगठन मंत्री की फटकार के बाद माफी मंगवाकर छोड दिया गया। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे की दावते वलीमा में शामिल होने आए राज्यमंत्री नरेंद्र पटेल ने ग्वालियर के एक रेस्टोरेंट में सम्मान न मिलने पर आधीरात को रेस्टोरेंट पर न सिर्फ छापा डलवाया गया बलःकि संचालक को थाने में बैठा दिया गया। जब व्यापारियों ने हंगामा किया तब रेस्टोरेंट संचालक को रिहा किया गया, लेकिन पटेल साहब को कसी ने कुछ नहीं किया। मप्र में ही एक मुंहफट मंत्री हैं विश्वास सारंग जो खुले आम पुलिस को फर्जी मुठभेड के लिए उकसाते हैं। भोपाल में लव जिहाद के एक आरोपी को पुलिस द्वारा शार्ट एनकाउंटर में पैर में गोली मारे जाने के बाद सारंग ने हा था कि पुलिस को आरोपी के सीने पर गोली दागना चाहिए थी। सारंग लव जिहाद के एक कथित संरक्षक के साथ फोटो को लेकर भी सुर्खियों में रहे लेकिन सारंग का कुछ नहीं बिगडा। कहते हैं एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है किंतु डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल में तो ऐसी मछलियों की संख्या लगातार बढ रही है। मप्र के ही एक मंत्री एदल सिंह कंषाना पर चंबल में रेत उत्खनन माफिया को संरक्षण देने के आरोप लगे लेकिन मजाल कि कोई कंषाना साहब से सवाल भी कर सके, कार्रावाई तो दूर की बात है। कंषाना केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड भाजपा में शामिल हुए थे। डॉ मोहन मंत्रिमंडल में ऐसे सनकी मंत्रियों की भरमार है। सबकी सनक अलग तरह की होती है। कुछ कैबिनेट मंत्री तो ऐसे हैं जो खुद नाला साफ करने नाले में उतर जाते हैं। बिजली के खंभे पर चढ जाते हैं, सार्वजनिक शौचालयों की सफाई खुद करने लगते हैं लेकिन मजाल कि वे कभी अपशने विधानसभा क्षेत्र को छोडकर प्रदेश के दौरे पर गये हो। प्रदेश ही उनके पास चलकर आता है। ये मंत्री हैं प्रद्युमन सिंह तोमर। मप्र के अधिकांश मंत्री अपने जिलों तक सीमित रहने वाले मंत्री हैं। ये मंत्री केवल कैबिनेट की बैठक में शामिल होने भोपाल जाते हैं। सचिवालय में अधिकाँश मंत्री कभी अपने दफ्तर में बैठते ही नहीं हैं। खुद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का पैर भोपाल में नहीं ठहरता। वे खुद सचिवालय में बैठें तो उनका अनुशरण उनके मंत्री करें। मप्र में सनकी मंत्रियों की फेहरिस्त लंबी है। हर मंत्री की अजब, गजब कहानी है। मप्र का मंत्रिमंडल अजूबों से भरा पडा है। एक खोजिये तो दस मिल जाएंगे। खुद मुख्यमंत्री जी और उनके एक उप मुख्यमंत्री तलवार वाजी का बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके हैं। मुख्यमंत्री जी को तो पकौडे तलते देखा जा सकता है। यानि जस दूल्हा तस बनी बराता का मामला है। हरि अनंत, हरि कथा अनंता भी कह सकते हैं। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 14 मई /2025