भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक और राजनीतिक सम्बंध अब तक कैसे व क्यों रहे है? यह तो किसी से भी छुपा हुआ नही है, किंतु इस बार षायद पहली बार ऐसा कुछ हो रहा है, जिससे विष्व के देषों के आपसी रिष्ते प्रभावित होने जा रहे है, फिर इस बीच यह भी एक सवाल गहराता जा रहा है कि क्या भारत-पाक के बीच ‘युद्ध विराम’ की स्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बयान या पहल पर निर्मित हुई? यहां तक तो ठीक है, किंतु इस प्रकरण के कारण भारत-पाक व उनके सहयोगी देषों के बीच सम्बंधों में ‘खटास’ क्यों पैदा की जा रही है? इसका सबसे पहला षिकार तुर्कीए देष है, जिसे ‘बाॅयकाॅट’ की धमकियां मिल रही है, अब सवाल यह भी खड़ा किया जा रहा है कि अभी कुछ वर्ष पहले ही भूकम्प के समय भारत ने जिस तुर्किए की हर तरह से मद्द की वह देष भारत विरोधी और पाक परस्त कैसे हो गया? क्या उसने भारत के अहसानों को इतनी जल्दी भुला दिया? या फिर विष्व के मुस्लिम प्रधान देषों के चक्कर में वह पड़ गया? जो भी हो, किंतु आज जिस तरह से विष्व स्तर पर भारत-पाक को लेकर माहौल बनाया जा रहा है, वह दोनों ही देषों के हित में तो कतई नही है, यही नहीं यह विष्व के अन्य महाषक्तिषाली देषों के हित में भी नही है, अब यहां यह आषंका अवष्य पैदा होती है कि क्या कुछ देष साजिषन ‘विष्व युद्ध’ का माहौल तैयार कर रहे है? और यदि वे अपनी साजिष में सफल होगा तो फिर उन देषों का हश्र क्या होगा, जिन्हें महाषक्तिषाली देषों का आश्रय प्राप्त है, यद्यपि में भारत को इस श्रेणी में नही मानता, किंतु यदि ऐसी स्थिति बनती है तो भारत को लेकर चिंता होना स्वाभाविक है। अब इस माहौल में कुछ देष ‘युद्धाग्नि’ में यह घोषणा करके घी डालने का काम कर रहे है कि जो देष पाकिस्तान के साथ खड़े है, भारतीय नागरिक उनकी पर्यटन यात्रा न करें? और इस अनुरोध को मानकर विष्व के भारत सहित कई देषों के ढाई सौ फिसदी पर्यटकों ने अपने दौरे रद्द कर दिए। कहा जा रहा है कि तुर्किए से भी खूबसूरत जगहे हमारे भारत में ही है, अतः वहां की यात्रा करें, इस तरह कुल मिलाकर मौजूदा हालातों का फायदा उठाकर एक अजीब माहौल बनाने की कौषिषें की जा रही है, जो भारत तो क्या किसी भी देष के हित में नही कहीं जा सकती, तुर्किए के साथ अजरबेजान के साथ भी इस तरह का माहौल तैयार किया जा रहा है। यह माहौैल भारत या किसी अन्य देष विषेष तक सीमित नही है, बल्कि पूरे विष्व में ऐसा ही किया जा रहा है। आखिर विष्व पर्यटन को राजनीति के घातक घेरे में क्यों लाया जा रहा है और ऐसा करने से आखिर किसे क्या फायदा है? किंतु अब धीरे-धीरे देषों के बीच जो गुट बंदियां तैयार हो रही है, यह उसीका परिणाम है, इस गुटबंदी से किसी का भी कोई फायदा नही है न राजनीतिक न कूटनीतिक और नही सामाजिक या सामयिक, सिर्फ ‘नाटक’ है, जिसका प्रदर्षन अपने-अपने हितों के लिए किया जा रहा है, फिर सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस माहौल के परिणामों के बारे में भी गंभीरता से चिंतन तक नही किया गया? (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 17 मई /2025