भारत सरकार ने सात सांसदों के एक दल का गठन किया है। इसमें सभी महत्वपूर्ण दलों के सांसदों को जगह दी गई है। 7 सांसद सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के रूप में अमेरिका, यूके, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, जापान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दौरा करेंगे। विदेश यात्रा के दौरान यह प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद से किस तरह का मुकाबला भारत कर रहा है इसकी जानकारी दुनिया के देशों को देंगे। पाकिस्तान किस तरह से आतंकवादियों का पोषण कर रहा है। पाकिस्तान खुद आतंकी देश के रूप में कार्य कर रहा है। यह प्रतिनिधिमंडल विदेश में जाकर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करेगा। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर क्यों किया गया। ऑपरेशन सिंदूर के तहत केवल आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया है। इसकी जानकारी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल एकजुटता के साथ देगा। मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों में पहली बार सांसदों को विदेश दौरे पर भेजा जा रहा है। भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू इस प्रतिनिधि मंडल को ऑर्गेनाइज कर रहे हैं। जल्द ही यह प्रतिनिधिमंडल विदेश का दौरा करके भारत का पक्ष रखने का काम करेगा। मोदी सरकार का कोई भी निर्णय बिना विवाद के पूरा नहीं होता है। केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने कांग्रेस पार्टी से चार सांसदों के नाम मांगे थे। उनमें से एक नाम केंद्र सरकार को चुनना था। कांग्रेस ने जो चार नाम भेजे उसमें कांग्रेस के सांसद शशि थरूर का नाम नहीं था। कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार का नाम भेजा था। केंद्र सरकार ने उनमें से किसी सांसद को ना भेज कर अपनी ओर से शशि थरूर को प्रतिनिधि मंडल में शामिल कर दिया। शशि थरूर को लेकर यह माना जा रहा है कि वह जल्द ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। हाल ही में उन्होंने केरल के एक प्रोग्राम में प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा किया था। वह कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ लगातार बोल बचन कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने सांसदों के इस प्रतिनिधि मंडल में थरूर को शामिल कर कांग्रेस के साथ एक बार फिर नया विवाद पैदा कर लिया है। केंद्र सरकार द्वारा अपने 11 साल के कार्यकाल में पहली बार विपक्ष को विश्वास में लेकर इस प्रतिनिधि मंडल को दुनिया के कई देशों में भेजा जा रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार को विवाद से बचना चाहिए था। शायद सरकार जानती थी और चाहती भी यही थी कि शशि थरूर को शामिल करने से कांग्रेस और शशि थरूर के बीच की दूरियां और बढेंगी, जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा। अगले साल केरल में विधानसभा के चुनाव होना हैं। भारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ समय से शशि थरूर के कंधे पर हाथ रखकर केरल में कांग्रेस को कमजोर करना चाहती है। सुनियोजित रूप से केंद्र सरकार ने कांग्रेस को आईना दिखाने का काम किया है। कांग्रेस पार्टी इसको किस तरह से लेती है, इसका पता जल्द ही चलेगा। वर्तमान परिस्थितियों में जब सरकार विपक्षी दलों के साथ सहयोग कर रही है। विपक्षी दल भी सरकार के साथ सहयोग में खड़े हुए हैं। ऐसे समय में सरकार को प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ टकराव मोल नहीं लेना था। इस समय सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता एकजुटता की होनी चाहिए। सारी दुनिया को एक ऐसा संदेश जाए, जिससे स्पष्ट हो भारत का सत्ता पक्ष और विपक्ष एकजुट है। सारी दुनिया के देश भारत की वर्तमान स्थिति को समझते। भारत एकजुटता का संदेश दुनिया भर में फैलाना चाहता है, वह ज्यादा असरकारी साबित होता। निश्चित रूप से सरकार ने सोच-समझकर कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए पहले कांग्रेस से चार सांसदों के नाम का पैनल मांगा। जब कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पैनल भेज दिया, तब सरकार ने पैनल में भेजे गए कांग्रेस के किसी भी सांसद को स्वीकार न करते हुए, शशि थरूर को विदेश दौरे में शामिल होने के लिए आमंत्रण दे दिया। सरकार के इस निर्णय से शशि थरूर गदगद हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी में नाराजगी देखने को मिल रही है। फिर भी यही कह सकते हैं कि सरकार जो करती है, वह सोच समझ कर करती है। यदि सरकार ने शशि थरूर को विदेश दौरे में भेजने का निर्णय लिया है, तो यह सरकार का निर्णय है। सरकार के निर्णय को सभी को मानना पड़ता है। अब कांग्रेस भविष्य में कौन सा रुख अपनाती है। इसका असर आने वाले मानसून सत्र में देखने को मिलेगा। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार को इस संकट के समय में बहुत सोच समझ कर निर्णय लेने चाहिए। यह समय टकराव का नहीं है। खरबूजा छुरी पर गिरे या छुरी खरबूजा पर गिरे, कटता खरबूजा ही है। विपक्ष के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। सरकार के पास खोने के लिए बहुत कुछ होता है। एसजे/ 17 मई /2025