ज़रा हटके
17-May-2025
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न्यू जर्सी (ईएमएस)। ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, 38 प्रतिशत भारतीय अब स्वास्थ्यवर्धक भोजन की बजाय प्रोसेस्ड फूड का सेवन कर रहे हैं। केवल 28 प्रतिशत लोग ही ऐसा भोजन कर रहे हैं जो उनके शरीर के लिए फायदेमंद है। भारत में प्रोसेस और जंक फूड का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जो एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर संकेत करता है। रिपोर्ट बताती है कि 16.6 प्रतिशत भारतीय आबादी कुपोषण से जूझ रही है, बावजूद इसके इस मुद्दे पर न तो कोई ठोस बहस हो रही है और न ही कोई कारगर नीति बनती दिख रही है। तेजी से बदलती जीवनशैली और विज्ञापनों की चकाचौंध ने लोगों को इंस्टैंट और प्रोसेस फूड की ओर आकर्षित किया है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ गया है। इस बीच अमेरिका में भी प्रोसेस फूड को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डॉक्टर केसी मीन्स को अगला सर्जन जनरल नियुक्त करने की घोषणा की है। डॉक्टर मीन्स, जो कैनेडी जूनियर की करीबी मानी जाती हैं, ने इस अवसर पर एक वीडियो जारी कर अमेरिकी हेल्थ एजेंसियों की नीतियों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में स्वास्थ्य एजेंसियां असली सुधार की दिशा में काम नहीं कर रही हैं। डॉक्टर मीन्स ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें मेडिकल स्कूल में कभी यह नहीं सिखाया गया कि अल्ट्रा प्रोसेस फूड किस हद तक स्वास्थ्य के लिए जानलेवा हो सकता है। उन्होंने एक रिसर्च का हवाला देते हुए बताया कि प्रोसेस फूड के नियमित सेवन से मौत का खतरा 18 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। साथ ही उन्होंने यह भी चिंता जताई कि अमेरिका में बच्चों के खानपान का लगभग 67 प्रतिशत हिस्सा प्रोसेस फूड से भर गया है। एक स्वतंत्र अध्ययन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि करीब 82 प्रतिशत लोग प्रोसेस फूड के चलते किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, लेकिन मेडिकल एजुकेशन में इस खतरे की गंभीरता को आज भी नजरअंदाज किया जा रहा है। सुदामा/ईएमएस 17 मई 2025