लंदन (ईएमएस)। एक तरफ जहां दुनियां के अनेक देश युद्ध की विभीषिका से परेशान नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि दुनिया के लोग सोच से कहीं ज्यादा दयालु हैं। यह आखिर कैसे संभव हो सकता है कि एक तरफ पड़ोसी देश एक-दूसरे को सीमा पर रहने के लिए हमले करते नजर आएं और दूसरी तरफ रिपोर्ट कहे कि दुनिया के लोग दयालु हैं। दरअसल ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, दुनिया भर के लोग जितना हम सोचते हैं, उससे कहीं अधिक दयालु और सहयोगी हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि दूसरों की दयालुता में विश्वास होना, स्वास्थ्य और संपत्ति जैसे पारंपरिक कारकों से कहीं अधिक, किसी व्यक्ति की प्रसन्नता और खुशी के स्तर को निर्धारित करता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वेलबीइंग रिसर्च सेंटर द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पारंपरिक मापदंडों से आगे जाकर, सामूहिक जीवन, विश्वास और आपसी संबंधों को मुख्य कारणों के तौर पर देखती है। ऑक्सफोर्ड वेलबीइंग रिसर्च सेंटर के निदेशक और रिपोर्ट के संपादक जन-इमैनुएल डी नेवे बताते हैं कि इस दौर में जबकि सामाजिक अलगाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है, हमें लोगों को एक बार फिर एक साथ लाने के तरीके तलाशने होंगे, यह हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण के लिए जरूरी हैं। रिपोर्ट से निकले महत्वपूर्ण सामाजिक निष्कर्ष वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, खुशी के पैमाने को तय करने वाले कारक अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन खुशी के पैमाने में महत्वपूर्ण सामाजिक निष्कर्ष एक जैसे ही हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि साझा भोजन खुशी का कारण होता है। परिवार का आकार तय करता है खुशी होगी या नहीं। सबसे बड़ा कारण भरोसा होता है जो खुशी को तय करता है। इस प्रकार सच्ची खुशी सिर्फ अधिक आय या स्वस्थ रहने मात्र पर आधारित नहीं हो सकती, बल्कि लोगों के भरोसेमंद होने पर निर्भर करती है। इसमें परिवार में साझा भोजन करना खुशी की गहराई से जुड़ा है। वहीं अमेरिका में अकेले खाने वालों की संख्या 20 वर्षों में 53फीसदी बढ़ी है। परिवार का आकार छोटा या बड़ा भी खुशी को प्रभावित करता है। 4 से 5 लोगों वाले परिवार सबसे ज्यादा संतुष्ट पाए गए हैं, खासकर मेक्सिको और यूरोप में। साल 2023 में 19 फीसदी युवा दुनियाभर में इस तरह के थे जिनके पास आपात स्थिति में भरोसा करने के लिए कोई नहीं था। इसमें साल 2006 की तुलना में 39फीसदी की वृद्धि हुई है। अमेरिका और यूरोप के कई इलाकों में घटती सामाजिक विश्वसनीयता और खुशी का गिरता स्तर, राजनीतिक ध्रुवीकरण और असंतोषजनक चुनाव परिणामों की ओर इशारा करता है। इस प्रकार वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 यह स्पष्ट करती है कि सच्ची खुशी केवल अच्छी आय या बेहतर स्वास्थ्य पर आधारित नहीं है, बल्कि यह इस बात पर अधिक निर्भर करती है कि लोग एक-दूसरे के प्रति कितने भरोसेमंद, सहयोगी और दयालु साबित होते हैं। भविष्य में यदि समाज को खुशहाल बनाना है तो हमें वाकई एक बार फिर विश्वास, साझा संस्कृति और आपसी संवाद की ओर लौटना होगा। हिदायत/ईएमएस 19 मई 2025